हालांकि राज्य में कई संगठन राज्य सरकार को भेज गए प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि राज्य में कन्नड भाषा को आगे बढाने की जरूरत है। लिहाजा इस फैसले में फिलहाल देरी हो सकती है। वहीं माना जा रहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकार ये फैसला ले सकती है। अगर सरकार फरवरी तक इस प्रस्ताव पर फैसला करती है तो इसे 2020-2021 के अकादमिक सेशन से शुरू किया जा सकता है।