धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हर जगह स्वागत हो रहा है। इस फैसले पर 'माय नेशन' से बातचीत करते हुए थिंकटैंक इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कॉनफिलिक्ट स्टडीज यानी आईपीसीएस के एटॉमिक डिफेंस प्रोग्राम में वरिष्ठ शोधकर्ता अभिजीत अय्यर मित्रा ने कहा कि समलैंगिकों के पक्ष में आया फैसला अच्छी बात है, पर ऐतिहासिक नहीं है। हमारे देश में कभी समलैंगिकों के प्रति वैमनस्य नहीं रहा है। अगर कोई अपने माता-पिता से कहने से डरता है तो इसमें राष्ट्र का क्या दोष है। साथ रहने से गिरफ़्तारी नहीं होती थी। आप जिन्हें समलैंगिक को डराने वाला कहते हैं उन्हीं की सरकार ने फैसला लिया कि वो कोर्ट की कार्यवाही में दख़ल नहीं देगी। …यह तो बहुत बड़ी बात है। ख़ुद को लैंगिक भेदभाव का शिकार बताना बिल्कुल बकवास है।