देश को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एकजुट होने की जरूरत थी, हमें अपने देश के दुश्मन को बाहर निकालने के लिए एकजुट होने की जरूरत थी। तभी राष्ट्रभाषा का मुद्दा सबसे पहले अस्तित्व में आया। जिसके जरिए सभी को एक सूत्र में बाधा जा सकता है। वह भाषा के अलावा और क्या सकती है। इसका जवाब महात्मा गांधी ने 1917 में भरूच में आयोजित गुजरात शिक्षा सम्मेलन में दिया था। उन्होंने कहा कि भारत को जोड़ने के लिए भाषा हिंदी होनी चाहिए क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है।