उपनिषद
(Search results - 5)ViewsApr 14, 2019, 11:27 AM IST
जानिए कैसे उपनिषदों से प्रभावित थे बाबा साहब अंबेडकर के विचार
जात-पात तोड़क मण्डल में दिये गये अपने प्रसिद्ध भाषण में डॉ.अम्बेडकर ने सुझाव दिया था कि हिंदुओं को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों पर आधारित समाज के निर्माण के लिए अपने शास्त्रों से बाहर कहीं से प्रेरणा लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्हें इन मूल्यों के लिए उपनिषदों का अध्ययन करना चाहिए। जिसके बाद मैंने बाद में यह कोशिश की कि पता करूं कि क्या उन्होंने बाद में इस विषय पर कहीं लिखा है। लेकिन उनके कुछ भाषणों को छोड़कर इसका जिक्र कहीं नहीं मिला ।
ViewsNov 21, 2018, 7:56 PM IST
अपने ज्ञान पर गर्व करना सीखो भारत
ऐसा लगता है कि जब पश्चिम के लोग भारतीयों की सराहना करेंगे तभी भारतीयों को अपने प्राचीन ज्ञान की इस अलौकिक संपदा का अहसास होगा।
ViewsOct 24, 2018, 7:25 PM IST
तो चलिए हम सब 'रुढ़िवादी' हिंदू बन जाते हैं
इस इक्कीसवी सदी में हमारे लिये यह उचित समय है जब हम एक समुदाय को दूसरे समुदाय के विरोध में खड़ा करने वाले हानिकारक, अप्रमाणित रुढ़िवाद का त्याग करें? सब से अच्छा विकल्प है कि हम हिंदू मूलतत्वों का अनुसरण करें। तो चलें, हम सब मनुष्यों में, कुदरत में और पशुओं में भी ईश्वरत्व देखनेवाले रुढ़िवादी हिंदू बनें। इससे संपूर्ण विश्व का लाभ होगा।
ViewsOct 15, 2018, 4:03 PM IST
‘परमब्रह्म परमेश्वर’ से अलग हैं ‘गॉड’ और ‘अल्लाह’
प्राचीनकाल में जब ईसाईयत और इस्लाम का कोई अस्तित्व नहीं था, तब सर्वोच्च सत्य के बारे में वैदिक धर्म की समझ बहुत ही परिपक्व थी। हिंदू परंपरा में परमसत्य को ब्रह्म के नाम से जाना जाता है। यह सबसे सूक्ष्म, अदृश्य, जागृत जैसे समस्त संसार का आधार है। ऋषियों ने उद्घोषणा की, कि ब्रह्म वह नहीं है जिसे आंखें देखती हैं, बल्कि ब्रह्म वह है जिसकी वजह से आंखें देख पाती हैं। ब्रह्म वह नहीं है जिसे मस्तिष्क सोचता है, बल्कि ब्रह्म वह है जिसकी वजह से मस्तिष्क सोच पाने में सक्षम हो पाता है। यह बात अब्राहमिक धर्मों के भगवान के लिए नहीं कही जा सकती।
ViewsSep 29, 2018, 4:14 PM IST
सनातन धर्म का प्रसार अति आवश्यक है।
केवल हिन्दू अथवा सनातन धर्म ही ऐसा है जो विभाजनकारी तथा साम्प्रदायिक नहीं है। मात्र यही शाश्वत धर्म समस्त सृष्टि को एक कुटुम्ब के रूप में देखता है। यही धर्म बिना किसी निबन्धन के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत को परिलक्षित करता है।