गुलामी
(Search results - 5)Pride of IndiaApr 10, 2024, 1:29 AM IST
भारत के बारे में इन 10 बातों को जानकर आपको होगा प्राउड, जानिए क्या?
भारत के बारे में इन 10 बातों को जानकर आपको भी अपने देश पर प्राउड होगा। देश के लिए एक कथन मशहूर है कि यहां हर 100 किलोमीटर पर भाषा और कल्चर बदल जाता है। विविधता से भरे इस देश को गुलामी से पहले सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। आइए भारत के बारे में जानते हैं 10 खास बातें।
LifestyleNov 22, 2023, 8:17 AM IST
भारत का वह किला, जहां तोप का गोला हो जाता है ठंडा- आज तक कोई न जीत सका
1947 के पहले जब भारत अंग्रेजों की गुलामी के दर्द से जूझ रहा था। देश की हर इमारत, हर महकमा अंग्रेजों का गुलाम था लेकिन उस दौर में भी एक ऐसी जगह थी जिसे कभी कोई गुलाम न बन सका ना अंग्रेज न मुगल और वह जगह है राजस्थान का लोहागढ़ किला।
SpiritualitySep 4, 2019, 9:05 AM IST
फिर से अंगड़ाई लेकर जग रहा है हमारा प्राचीन ज्ञान विज्ञान
लगभग 1200 सालों की गुलामी ने भारत के ज्ञान विज्ञान को सुप्त कर दिया। अविवेकी, विलासी और लालची विदेशी शासकों ने एक साजिश के तहत भारतीयों के ज्ञान विज्ञान को पतित करने का हर संभव प्रयास किया। लेकिन ज्ञान को दबाना किसी तरह भी संभव नहीं है। आज स्वतंत्र भारत प्रतिदिन ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिदिन नए प्रतिमान गढ़ रहा है। मंगलयान, चंद्रयान, मिसाइल तकनीक जैसी अनंत उपलब्धियां हासिल की हैं। यह केवल भारतीयों के लिए ही संभव है, क्योंकि हमारे वेदों और शास्त्रों में अनंत ज्ञान उपलब्ध है, जो भारतीयों के डीएनए में शामिल है।
ViewsMay 28, 2019, 7:56 PM IST
वीर सावरकर के रास्ते पर चलते तो जातिमुक्त होता भारत
महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 28 मई 1883 को हुआ था। वह जितने बड़े राष्ट्रवादी थे उतने ही महान समाज सुधारक भी। उन्होंने हिंदू समाज के विघटन के कारण जाति व्यवस्था को बहुत पहले ही पहचान लिया था। यदि सावरकर की नीतियों पर देश चलता तो आज छूत-अछूत, जाति पांति की गुलामी से हिंदू समाज मुक्त रहता।
ViewsDec 6, 2018, 6:48 PM IST
‘जय भीम-जय मीम’ कहने वालों ने क्या पाकिस्तान पर बाबासाहेब अंबेडकर के विचार पढ़े भी हैं?
संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है। आज भले ही उनके कथित अनुयायी उन्हें अंबेडकरवाद की संकुचित विचारधारा में कैद करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अंबेडकर सभी सीमाओं से परे हैं। उनका राष्ट्रवाद असंदिग्ध है। आज ‘जय भीम-जय मीम’ का नारा लगाने वाले शायद इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि वह मजहबी कट्टरता और पाकिस्तान को जन्म देने वाले ‘द्विराष्ट्रवाद’ के विचार के कितने बड़े विरोधी थे।