बजट में कोई सख्त कदम नहीं उठाना तथा सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ रियायत या प्रत्यक्ष लाभ देने की कोशिशों को अर्थशास्त्र से ज्यादा राजनीतिक शास्त्र माना जाएगा। कितु इस बजट का यहीं तक सीमित करने से इसका पूर्ण और निष्पक्ष आकलन नहीं हो पाएगा। चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी इस बजट में विकास का व्यापक विजन और कार्ययोजना सन्निहित है।