कौशलेंद्र सिंह पिता के साथ बचपन से दुधवा (अब दुधवा नेशनल पार्क) जाते थे। शौकिया शिकारी थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने काम में रम गए। मशहूर पर्यावरणविद् बिली अर्जन सिंह के संपर्क में आए तो वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन में रूचि ली। अब वन्यजीवों का संरक्षण उनका जुनून है।