EntertainmentAug 18, 2018, 4:21 PM IST
घी में चुपड़ी मक्के की रोटी के साथ गुड़ जैसे अल्फाज, जो चांद को ठहरा दें। वो बर्फ के फाहों जैसे तैरते हुए बोल जो किसी कल्पना लोक में ले जाएं। फरवरी की धूप में अधखुली आंखों में बुने ख्वाबों को जो शब्द दे दे, उसे गुलज़ार कहते हैं।
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