NewsNov 13, 2018, 8:33 AM IST
पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 28 सितंबर को 4:1 के अपने फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ करते हुए कहा था कि यह पाबंदी लैंगिक भेदभाव की तरह हैं।
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