असल में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा के पास बहुमत नहीं है। क्योंकि परिषद में सबसे ज्यादा सदस्य सपा के हैं और इसके बाद भाजपा के। 100 सदस्यीय विधान परिषद में भाजपा को अपने बिल को पास कराने के लिए कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। लिहाजा सरकार के बिल परिषद में पारित न होने के कारण अकसर लटक जाते हैं।