अयोध्या मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार उच्चतम न्यायालय में पहली बार उपस्थित हुई है। हालांकि ऐसे अनेक अवसर थे जिसमें केन्द्र सरकार अपने वकीलों के माध्यम से उपस्थित हो सकती थी। ऐसा किया जाता तो मामला किसी परिणामकारी मुकाम पर पहुंच चुका होता। हम इसमें राजनीति तलाश सकते हैं। जिस तरह संघ, विहिप एवं साधु-संत तथा आम हिन्दू अयोध्या मामले के न्यायालय में लंबा खींचने और उसमें केन्द्र के निरपेक्ष रहने पर नाखुशी और आक्रोश व्यक्त कर रहा है उसे नजरअंदाज करना केन्द्र के लिए जोखिम भरा है। किंतु इस पहलू पर बहस करने की जगह हम केन्द्र के मौजूदा कदम पर विचार करें।