आजादी से पूर्व तक अखिल भारतीय कांग्रेस द्वारा हर वर्ष 15 फरवरी को “तारापुर दिवस” मनाया जाता रहा है लेकिन आज़ादी के बाद सत्ता के स्वाद में हमारे नेता स्वतंत्रता शहीदों की शहादत को भूल गये और बड़े इतिहासकारों ने ‘तारापुर गोलीकांड’ के साहसिक कृत्यों को इतिहास में शामिल करना मुनासिब नहीं समझा।