आक्रोश, सलाह, सूचना और विचारों के 280 शब्दों वाला प्लेटफॉर्म सिर्फ यह तय करने के लिए नहीं हैं कि हम किस प्रकार से कम शब्दों में ऑनलाइन बातचीत करेंगे, बल्कि बातचीत के इस माध्यम असीमित ताकत और प्रभावित करने की क्षमता भी देता है। यही वजह है कि दुनिया भर के बड़े नीति निर्माताओं से लेकर आम लोगों ने भी इस प्लेटफॉर्म पर आना स्वीकार किया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ट्विटर की। लेकिन अब इस पर एक खास तरह का राजनीतिक झुकाव रखने का आरोप लगाया जा रहा है।