सीतापुर  

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  • Forest department employee taking bribe in cameraForest department employee taking bribe in camera

    NewsJan 11, 2019, 1:38 PM IST

    रिश्वत लेते वन विभाग का कर्मचारी कैमरे में कैद

    यहां पर काम करने वाला एक चौकीदार रिश्वत लेते कैमरे में कैद हो गया। बताया जा रहा कैमरे में कैद चौकीदार सीतापुर के कार्टरगंज रेंज में तैनात है। देखें वीडियो।
     

  • CO and Chowki Incharge transferred in Bulandshahr violence caseCO and Chowki Incharge transferred in Bulandshahr violence case

    NewsDec 8, 2018, 11:10 AM IST

    बुलंदशहर हिंसा मामले में एसपी समेत 3 पुलिस अफसरों का तबादला

    एसपी कृष्ण बहादुर सिंह की जगह सीतापुर के एसपी प्रभाकर चौधरी को बुलंदशहर का नया एस एसपी बनाया गया है। सीओ सत्य प्रकाश को पुलिस ट्रेनिंग सेंटर मुरादाबाद, जबकि एसआई सुरेश कुमार को ललितपुर भेजा गया है।

  • UP CM is in trouble because of disobedience of senior police officersUP CM is in trouble because of disobedience of senior police officers

    NewsOct 6, 2018, 12:30 PM IST

    बेलगाम खाकी की बगावत ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी की मुश्किलें बढ़ाई

    यूपी में पुलिसवालों की बगावत का दायरा बढ़ रहा है। कल तक विवेक तिवारी के हत्यारोपी सिपाही के समर्थन में सिपाहियों के विद्रोह की खबरें आ रही थीं। लेकिन अब तीन थाना प्रभारियों(एसएचओ) पर हुई कार्रवाई से पता चलता है, कि विद्रोह कहां तक पहुंच चुका है। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 

  • Did media lie about Modi govt's Saubhagya rural electricity scheme? Here is what UP villagers sayDid media lie about Modi govt's Saubhagya rural electricity scheme? Here is what UP villagers say

    NationJul 24, 2018, 12:12 PM IST

    मीडिया के एक तबके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश भर के गांवों में सौभाग्य विद्युतीकरण योजना का लाभ पाने वाले लोगों से संवाद किया था। इस कड़ी में पीएम मोदी ने यूपी के सीतापुर के रेउसा ब्लॉक के भरथ गांव के लोगों से भी बात की थी और योजना से उन्हें हुए लाभ की जानकारी ली थी। हालांकि मीडिया के एक धड़े ने कार्यक्रम से एक दिन पहले ही कुछ रिपोर्टरों को इस गांव में भेजा और पांच-छह कथित असंतुष्ट गांववालों के बात की। उनकी कोशिश यह साबित करने की थी कि गरीब गांववालों के घर में जबरन बिजली के कनेक्शन लगाए गए और फिर उन्हें अनापशनाप बिल भेज दिया गया। इनमें एक मामला एक लाख रुपये से ऊपर के बिल का भी था। हालांकि पूरी रिपोर्ट के दौरान यह नहीं बताया गया कि 10 दिन पहले ही गांव में कैंप लगाकर प्रत्येक ग्रामीण के बिल से जुड़ी समस्याएं दूर कर दी गईं थीं। ऐसे में अपने एजेंडे के तहत खबरें दिखा रहे समाचार चैनलों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है?