सबरीमाला मंदिर मामले से जुड़े कई बड़े सवाल हैं, जिनका जवाब तलाश करने के लिए कार्यकर्ताओं को संघर्ष करना होगा। जैसे एक कम्युनिस्ट सरकार, जो कि नास्तिक मानी जाती है, वह हिंदू परंपराओं में दखल दे रही है, लेकिन यही व्यवस्था 2017 में ऑरथोडॉक्स और जैकोबाइट चर्चों के मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन में नदारद दिखती है। किस तरह से भारतीय राज्य मस्जिदों के मामले मे दखल नहीं देता, लेकिन हिंदू धर्म के स्तंभ माने जाने वाले भगवान अयप्पा की अपमान के लिए सेक्यूलरिज्म की आड़ लेने में तनिक भी नहीं हिचकता।