देश का पहला स्कूल - खोलने वालों पर  फेके गए थे गोबर और पत्थर
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देश का पहला स्कूल - खोलने वालों पर  फेके गए थे गोबर और पत्थर

आजादी से पहले गर्ल्स एजुकेशन पर पाबंदी थी तब ये स्कूल पुणे मे खुला था
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आजादी से पहले गर्ल्स एजुकेशन पर पाबंदी थी तब ये स्कूल पुणे मे खुला था

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महिलाओं को पढ़ाकर सशक्त बनाने के मकसद से ये स्कूल स्थापित किया गया था
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महिलाओं को पढ़ाकर सशक्त बनाने के मकसद से ये स्कूल स्थापित किया गया था

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इस स्कूल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग भी उठी   थी लेकिन कुछ न हुआ
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इस स्कूल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग भी उठी थी लेकिन कुछ न हुआ

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सावित्री बाई और फातिमा शेख देश की पहली महिला टीचर है

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ज्योतिबा फुले ने 1848 में पुणे में पहला कन्या स्‍कूल खोला था

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फातिमा शेख ने अपने घर रात्रिकालीन प्रौढ़ शिक्षण का कार्य शुरू किया

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फ़ातिमा और सावित्रीबाई ने अहमदनगर मिशनरी स्कूल मे टीचर्स ट्रेनिंग ली थी

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सावित्री और फातिमा के गर्ल्स एजुकेशन वर्क पर लोगों ने विरोध किया

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पढ़ाने जाने पर सावित्री बाई पर गोबर पत्थर और कीचड़ फेके जाते थे

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सावित्रीबाई एक साड़ी साथ लेकर चलती थीं,स्कूल पहुंच कर चेंज कर लेती थी

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1856 में सावित्रीबाई बीमार पड़ीं तो अपने पिता के घर चली गईं

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सावित्री बीमार पड़ीं तो स्कूल के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी फातिमा ने ली

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आगे चल कर फातिमा स्कूल की प्रिंसिपल बनीं और आजीवन एजुकेशन पर काम किया

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