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खानदानी तवायफें,सदियों पुराना मुजरा,600 रूपये में बिकती हैं लड़कियां

Image credits: our own

क्या सचमुच हीरामंडी भंसाली की हीरामंडी जैसी थी

संजय लीला भंसाली की हीरामंडी में हमने हीरा मंडी का भव्य रूप देखा।क्या वाक़ई हीरामंडी ऐसी ही थी? चलिए दिखाते हैं हीरामंडी की आज की तस्वीर । 

 

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मंत्री के नाम पर पड़ा हीरामंडी नाम

हीरा मंडी का इतिहास पाकिस्तान बनने से पहले का है। महाराजा रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह थे जिनके नाम पर हीरामंडी का नाम पड़ा जिसने यहां पर अनाज मंडी का निर्माण कराया था । 

 

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राजा रणजीत सिंह ने तवायफों को दिया संरक्षण

राजा रणजीत सिंह ने मुगल काल में हीरामंडी में बने तवायफ इलाके को संरक्षित करने का काम किया था। ये जगह  15वीं और 16वीं सदी में मुगल काल में तवायफ कल्चर के तौर पर पहचान बनाने लगा था।

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नवाबों का आना जाना शुरू हुआ।

धीरे धीरे हीरामंडी में वेश्यवृत्ति पैर  पसारने लगी। अफ़ग़ानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से लड़किया यहाँ लेकर बेचीं जाने लगीं। ये लड़कियां नवाबों के  लिए मुजरे सजाने लगीं। 

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मुगलों के दौर से लेकर अब तक बना है तवायफों का अड्डा

मुगल दौर के बाद  जब ब्रिटिश राज कायम हुआ तो उन्होंने हीरा मंडी को वेश्यावृत्ति की जगह माना। ब्रिटिश दौर में सैनिक यहां मुजरा देखने  आने लगे।आज भी हीरामंडी में वेश्यावृति होती है। 

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600 रूपये में हीरामंडी में बिकती हैं लड़कियां

 2001 की रिपोर्ट के मुताबिक,अफगानिस्तान की महिलाएं  पाकिस्तान की हीरामंडी में महज 600 रुपये में बेच दी जाती हैं।  इन महिलाओं को जबरन वेश्यावृति की ओर ढकेल दिया जाता है।

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पाकिस्तान में इलीगल है वेश्यावृत्ति

पाकिस्तान में प्रॉस्टिट्यूशन इलीगल है, फिर भी खुलेआम इन गलियों में सेक्स वर्कर्स घूमती हैं। बादशाही मस्जिद से 700 मीटर की दूरी पर  बदनाम रेड लाइट एरिया में शरीफ लोग नहीं जाते हैं।

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