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13 दिसंबर 2001 की सुबह भारत का कोई भी नागरिक कभी भूला नहीं सकेगा। इस दिन सुबह 11 बजे संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था।
संसद पर हमला करने आए आतंकवादी सफेद एंबेसडर गाड़ी से आए थे। वह गेट नंबर 12 से संसद भवन परिसर में घुसे थे।
उप राष्ट्रपति कृष्णकांत की गाड़ी से टकराने के बाद आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। जवाब में सुरक्षा कर्मियों ने भी फायरिंग तो वे भवन के पीछे की ओर भागे थे।
संसद भवन परिसर में गाड़ी में आए पांच आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ये सभी आतंकी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से जुड़े थे। इससे परिसर में अफरातफरी मच गई।
संसद पर हमले के बाद पुलिस, आर्मी, सीआरपीएफ के जवानों समेत सुरक्षा गार्डों ने भी तुरंत मोर्चा संभाल लिया था।
दिल्ली पुलिस के पांच, सीआरपीएफ की महिला कांस्टेबल, संसद सुरक्षा सेवा के दो सहायक और संसद के एक कर्मचारी की जान चली गई थी। वहीं एक कैमरामैन की भी मौत हुई थी।
संसद भवन पर हमला करने वाले सभी आतंकियों को देश के जवानों ने आखिरकार मार गिराया।
संसद भवन पर हमले के दौरान हाउस चल रहा था और करीब 200 सांसद मुख्य भवन के अंदर थे। आतंकी भवन के अंदर घुसकर हमला करना चाहते थे लेकिन कामयाब न हो सके।
संसद पर हमले के मास्टमाइंड अफजल गुरु को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में आरोपी को फंसी की सजा दे दी गई थी।
हर साल संसद हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अपित की जाती है। बुधवार को पीएम मोदी समेत तमाम राजनेताओ में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।