Author: Rajkumar Upadhyaya Image Credits:Social Media
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कुंभ मेले का विशेष महत्व
भारत में आयोजित होने वाले प्रमुख धार्मिक मेलों में कुंभ मेला, अर्ध कुंभ मेला और महाकुंभ मेला विशेष महत्व रखते हैं। ये मेले लाखों भक्तों को अट्रैक्ट करते हैं।
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इन तीनों मेलों के बीच क्या अंतर?
मान्यताओं के मुताबिक, इन पवित्र अवसरों पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इन तीनों मेलों के बीच क्या अंतर है? आइए जानें।
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1. कुंभ मेला (Every 3 Years)
कुंभ मेला हर तीन साल में एक बार चार प्रमुख धार्मिक स्थलों-गोदावरी, शिप्रा, गंगा, और संगम पर होता है। इन स्थानों पर श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं।
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2. अर्ध कुंभ मेला (Every 6 Years)
अर्ध कुंभ मेला हर छह साल में एक बार आयोजित होता है। यह मेला हरिद्वार और संगम पर आयोजित किया जाता है। पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार होता है।
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3. महाकुंभ मेला (Every 144 Years)
महाकुंभ मेला एक बहुत ही विशेष और दुर्लभ मेला है, जो हर 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। यह मेला तब होता है जब 12 पूर्ण कुंभ मेलों का समापन होता है।
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संगम तट पर होता है महाकुंभ
महाकुंभ केवल प्रयागराज के संगम घाट पर आयोजित किया जाता है। इसे लेकर भक्तों के बीच एक विशेष प्रकार की आस्था और उमंग होती है, क्योंकि यह एक दुर्लभ अवसर माना जाता है।