महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत रामायण की रचना की, जिसे आज वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है।
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ था। इस दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है।
वाल्मीकि जयंती पर मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वाल्मीकि जयंती 17 अक्टूबर 2024 को मनाई जा रही है।
आश्विन पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ माना जाता है, खासकर महर्षि वाल्मीकि के प्रकटोत्सव के कारण।
क्या आप जानते हैं कि महर्षि वाल्मीकि का प्रारंभिक नाम रत्नाकर था, और वे पहले डाकू थे?
रत्नाकर ने नारद मुनि से मिली शिक्षा के बाद राम का नाम जपना शुरू किया, जो उन्हें बदलने में मददगार बनी।
रत्नाकर ने 'मरा-मरा' जपते हुए राम का नाम लेना शुरू किया, जिससे उनकी साधना में गहराई आई।
ब्रह्माजी ने रत्नाकर की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें 'वाल्मीकि' नाम दिया।
इस प्रकार, राम का नाम जपते हुए डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गए।