Utility News
पोर्ट ब्लेयर का प्रसिद्ध स्थल, जिसे "काला पानी" भी कहा जाता है, स्वतंत्रता सेनानियों को यातना देने के लिए अंग्रेजों ने बनाया था। जहां वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी कैद थे।
पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश नौसेना अधिकारी कैप्टन आर्चिबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। अब इसका नाम बदलकर "श्री विजयपुरम" रखा गया है, जो इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा है।
यह क्षेत्र चोल साम्राज्य का महत्वपूर्ण नौसैनिक केंद्र था। श्री विजयपुरम नाम इसी ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अंडमान द्वीपों पर कब्जा कर लिया था। इस दौरान पोर्ट ब्लेयर पर भी जापानी सेना ने कब्जा कर लिया था।
पोर्ट ब्लेयर अपने खूबसूरत समुद्र तटों, राधानगर और कार्बिन्स कोव और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां का समुद्री जीवन गोताखोरी के शौकीनों के लिए एक स्वर्ग है।
पोर्ट ब्लेयर के नज़दीक नील और हैवलॉक द्वीप हैं, जो विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। यहां की सफेद रेत और साफ पानी इन्हें खास बनाते हैं।
पोर्ट ब्लेयर से 135 किमी दूर स्थित बैरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है, जो इसे और भी अनोखा बनाता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में 1943 में पहली बार भारतीय तिरंगा फहराया था, जिसे स्वतंत्र भारत की पहली भूमि कहा जाता है।
पोर्ट ब्लेयर अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की आदिवासी संस्कृतियों का केंद्र है। यहाँ कई जनजातियाँ निवास करती हैं, जिनमें जारवा और ओंग प्रमुख हैं।
पोर्ट ब्लेयर इको-फ्रेंडली पर्यटन के लिए जाना जाता है। यहाँ कई रिसॉर्ट्स और पर्यटन स्थल हैं जो पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।