नई दिल्ली:  13 तारीख, शुक्रवार का दिन और 13 साल बाद फुल हार्वेस्ट मून का उदय। इन सभी संयोगों ने मिलकर अमेरिका और यूरोप खौफ में डाल दिया है।  लोग इतना डरे हुए हैं कि घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। ना तो वह किसी तरह की खरीदारी कर रहे हैं और ना ही कोई बिजनेस डील कर रहे हैं। यही नहीं आज के दिन लोगों ने फ्लाइट में चढ़ना भी टाल दिया है। 

आशंका है कि लोगों के बीच 13 सितंबर के इस डर की वजह से लगभग 900 मिलियन डॉलर की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ सकती हैं। जिसकी वजह से बड़ा नुकसान हो सकता है। 

 यूरोप और अमेरिका में 13 तारीख को पड़ने वाले शुक्रवार को माना जाता है खतरनाक
यूरोप में 13 तारीख को पड़ने वाले शुक्रवार को बहुत अशुभ माना जाता है। इसे 'फ्राइडे द थर्टिंथ' के नाम से जाना जाता है और इसे बेहद अपशगुन से भरा हुआ माना जाता है। किंवदंतियों के मुताबिक इस दिन पूरी दुनिया की अदृश्य बुरी ताकतें प्रभावी हो जाती हैं। जिनका बुरा असर दिखाई देने लगता है। 

आज 13 साल बाद बन रहा है चंद्रमा का दुर्लभ संयोग
आज 13 सितंबर के दिन एक और खास संयोग बन रहा है। वह ये है कि आम तौर पर चंद्रमा सूरज डूबने के  50 मिनट बाद उदित होता है। लेकिन इस बार सूर्य के अस्‍त होने के पांच मिनट बाद ही चंद्रमा पूरब दिशा में दिखाई देने लगेगा। इसे अमेरिका के मूल बाशिंदे 'फुल हार्वेस्ट मून' के नाम से पुकारते थे। लेकिन इसे यूरोप और अमेरिका में बेहद अशुभ माना जाता है। क्योंकि पुरानी किंवदंतियों के मुताबिक इस दिन दुनिया की सकारात्मक शक्तियां सुप्त हो जाती हैं और नकारात्मक शक्तियां ताकतवर हो जाती हैं। 

क्यों डरते हैं लोग  'फ्राइडे द थर्टिंथ' से 
एक ब्रिटिश वेबसाइट के मुताबिक, इंग्लैंड के एक मेडिकल जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई। साल 1993 में छपे इस शोध में बताया गया कि 13 तारीख के शुक्रवार के दिन सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। 
द विंसी कोड के मुताबिक 13 अक्टूबर 1307 को शुक्रवार के दिन फ्रांस में सैकड़ों नाइट टेंपलर मार दिए गए थे।  

अमेरिका में शुक्रवार के दिन फांसी दी जाती थी, इसलिए इसे मौत का दिन मान लिया गया है।  

ईसाई धर्म में है 13 तारीख से डरने का राज
बाइबिल के मुताबिक ईसा मसीह को अपने जिस शिष्य की गद्दारी की वजह से सूली पर चढ़ना पड़ा, वह उनका 13वां शिष्य था। उसी की दगाबाजी के कारण जीसस को शुक्रवार को सूली पर चढ़ा दिया गया। 
बाइबिल से जुड़े मिथकों के मुताबिक 'द लास्ट सपर' यानी ईसा मसीह के आखिरी भोज में उनका शिष्य जुडास सबसे देरी से पहुंचा और उसका नंबर 13वां था। जिसके इशारे पर ईसा मसीह को रोमन अधिकारियों ने शुक्रवार के दिन सूली पर लटका दिया था।

यही वजह है कि ईसाई लोग 13 तारीख और शुक्रवार के संयोग से बेहद घबराते हैं। 

भारतीय परंपरा के मुताबिक कैसा है आज का दिन 
भारतीय पंचांग के मुताबिक आज की पूर्णिमा के बाद उपरी लोक का मार्ग खुल जाता है और पितरों का आत्माएं अपने वंशजों से मिलने के लिए धरती पर आती हैं। इसे पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।
हालांकि भारतीय परंपरा के मुताबिक इससे डरने वाली कोई बात नहीं होती। क्योंकि इन दिनों में पुरखों को याद करने, उनके लिए भोजन तैयार करने और अर्पण करने से पूरे साल सुख और शांति बनी रहती है। लेकिन इस दौरान किसी तरह की खरीदारी, नया काम या शुभ काम नहीं किया जाता है। 

इस दौरान पूरी तरह सात्विक जीवन शैली अपनाई जाती है। मांस, मछली, अंडा, शराब के सेवन से परहेज किया जाता है।