वडोदरा।  अच्छा पहनने का मन सबको करता है। खासतौर से शादी ब्याह त्यौहार फंक्शन में गरीब अमीर सब चाहता है कि वह अच्छा पहना और सुंदर दिखे। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो फिजूल पैसे खर्च नहीं करना चाहते और कम बजट में अपने अरमान पूरे करना चाहते हैं।  ऐसे ही लोगों के लिए आठ सहेलियों ने एक लाइब्रेरी बनाई जहां किसी भी फंक्शन में पहनने के लिए सिल्क की साड़ी, बनारसी साड़ी, कांजीवरम साड़ी, जॉर्जेट साड़ी मामूली कीमत पर किराए पर मिलती है इस अनोखी लाइब्रेरी का नाम है अष्ट सहेली साड़ी लाइब्रेरी। कैसे हुई इस लाइब्रेरी की शुरुआत माय नेशन हिंदी से बताया हेमा चौहान ने जो लाइब्रेरी की फाउंडर है।

कौन है हेमा चौहान और लाइब्रेरी चलाने वाली आठ महिलाएं

गुजरात के बड़ोदरा में हेमा चौहान अपनी आठ सहेलियों के साथ अष्ट सहेली साड़ी लाइब्रेरी चलती हैं । हेमा लाइब्रेरी की संस्थापक है और उनके साथ इस ग्रुप में नीला शाह , रीता विठलानी , पारुल पारेख, साधना शाह गोपी पटेल नीलिमा शाह और ट्विंकल पटेल शामिल है। यह सभी महिलाएं उन लोगों के लिए इस लाइब्रेरी में कपड़े दान करती हैं जिनके पास अच्छे कपड़े खरीदने के पैसे नहीं होते हैं या फिर वह लोग जो शादी विवाह फंक्शन में फिजूल खर्च नहीं करना चाहते हैं।

कैसे हुई इस लाइब्रेरी की शुरुआत

हेमा कहती हैं करीब 4 साल पहले की बात है उनकी मेड को शादी में शहर से बाहर जाना था लेकिन उसके पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े नहीं थे और ना ही पैसे थे कि वह नया कपड़ा खरीद सके। हेमा ने अपने कपड़े मेड को दिया जिससे वह बहुत खुश हो गई। शादी से जब वह लौटी तो बहुत खुश थी यही से हेमा को यह आइडिया आया कि हमें उन लोगों के लिए कुछ ऐसी शुरुआत करना चाहिए जो मेहनत मजदूरी तो करते हैं लेकिन ना तो अपनी मर्जी के मुताबिक खाना खा पाते हैं ना कपड़े पहन पाते हैं। हेमा ने अपनी दोस्तों से इस बारे में बात किया और यह तय हुआ कि सब अपने-अपने पांच कपड़े लाइब्रेरी में दान करके लाइब्रेरी की शुरुआत करेंगे। साल 2020 में इस लाइब्रेरी की शुरुआत हो गई। और अक्टूबर 2021 में लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया।

हजार से ज्यादा साड़ियों का कलेक्शन

हेमा कहती हैं कि उनकी लाइब्रेरी में कांजीवरम, बनारसी, सिल्क, जॉर्जेट, शिफॉन , बांधनी, कोटा, चेक, रेशम समेत 1000 से ज्यादा साड़ियों का कलेक्शन है इसके साथ-साथ अन्य कपड़े भी हैं जैसे कि शरारा सूट प्लाजो सूट अनारकली लहंगा। लाइब्रेरी में दूर-दूर से लोग अपने कपड़े दान करने के लिए आते हैं कुछ लोग तो बिल्कुल नए कपड़े देकर जाते हैं।

कितने में मिलती है साड़ी

हेमा कहती हैं किराए पर साड़ी देते समय ₹500 की टोकन राशि जमाई कराई जाती है। इस राशि राशि से ड्राई क्लीनिंग का खर्च निकलता है इसके लिए वह स्थानीय ड्राई क्लीनर से संपर्क करते हैं। यह टोकन मनी जमा कर 5 दिनों के लिए बहुत ही मामूली कीमत पर तीन साड़ियां किराए पर लिया जा सकता है। वही हेमा ने बताया कि लाइब्रेरी दोपहर 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुली रहती है और आठवां महिलाएं हफ्ते में 2 दिन की शिफ्ट के साथ काम करती हैं।

दूर-दूर से लोग दान करते हैं कपड़े

हेमा कहती हैं बहुत जल्द उनके लाइब्रेरी फेमस हो गई और अब उनकी लाइब्रेरी में दूर दराज से लोग कपड़े दान करते हैं। हिंदुस्तान के अलग-अलग कोनों से लोग पारंपरिक कपड़े लाइब्रेरी में भेजते हैं। हेमा ने बताया कि अक्सर वह फ्री सेल भी लगते हैं जिसमें कपड़ों के साथ पर्स ज्वेलरी और जूते भी रखे जाते हैं जो पहले आता है वह इन्हें मुफ्त में लेकर जाता है।

ये भी पढ़ें

शौचालय जाने के लिए लंच का वेट करती थीं,स्कूल में लोग मजाक बनाते थे !आज रितुपर्णा दो फ्री लाइब्रेरी ख...