अवधेश कुमार
(Search results - 5)ViewsMay 29, 2019, 3:50 PM IST
जीत के बाद पीएम मोदी के भाषणों में दिखा ‘सर्वजन हिताय’ का लक्ष्य
पीएम मोदी सत्ताधारी भाजपा एवं राजग के नेता तथा देश के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए उनके एक-एक शब्द मायने रखते हैं। उनकी बातें पार्टी के साथ उनके करोड़ों समर्थकों के लिए तो व्यवहार सूत्र की तरह हैं ही, विरोधियों के लिए अपनी सोच और व्यवहार में परिवर्तन के लिए विचार की अभिप्रेरणा देने वाला है। उदाहरण के लिए पार्टी मुख्यालय से देश और दुनिया को संबोधित करते हए उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मुझे जो कुछ कहा गया वो सब मैं भूल गया, चुनाव में विजय बहुमत से मिलता है लेकिन सरकार सर्वमत से चलती है।
ViewsApr 16, 2019, 4:31 PM IST
क्या पूरी दुनिया मोदी को ही पीएम के रुप में देखना चाहती है
दुनिया भर के देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने यहां के पुरस्कार प्रदान कर रहे हैं। अगर भारत की कोई संस्था उन्हें पुरस्कार देने की घोषणा करती तो हंगामा मच गया होता तथा चुनावी आचार संहिता आड़े आ जाता। लेकिन बाहरी देशों पर तो आचार संहिता लागू नहीं हो सकता। ऐसे में दुनिया के देशों द्वारा लगातार मोदी को ईनाम दिए जाने की घोषणा के क्या हैं मायने?
NewsMar 11, 2019, 8:11 PM IST
क्या अबकी बार फिर बन पाएगी मोदी सरकार ?
भारत में लोकतंत्र का विराट आयोजन शुरु हो गया है। प्रशासनिक अमले ने चुनाव की वृहत् तैयारियां शुरु कर दी हैं। जनता में चुनाव को लेकर सुगबुगाहट होने लगी है। इसके साथ ही मूल प्रश्न लोगों के दिमाग में फिर से सिर उठाने लगा है कि आखिर किसके हाथ लगेगी 2019 की बाजी। पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार का आंखें खोल देने वाला विश्लेषण-
ViewsFeb 9, 2019, 6:23 PM IST
राफेल पर राहुल की राजनीति आपत्तिजनक
Rahul Gandhi is doing dangerous politics on Rafael
लगता है राहुल गांधी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पूर्व राजनीति को धारण किया है। केजरीवाल तब इसी तरह नेताओं पर आरोप लगाते थे और दावा करते थे कि उनके पास इसके पूरे प्रमाण मौजूद हैं। उसके बाद वे दिल्ली विधानसभा चुनाव में सफल रहे। शायद राहुल गांधी को लगता होगा कि उसी रास्ते पर चलकर वे भी चुनाव में सफल हो सकते हैं।
ViewsFeb 1, 2019, 5:21 PM IST
इस बार के बजट में चुनाव का ध्यान रखते हुए भी विकास का व्यापक विजन है
बजट में कोई सख्त कदम नहीं उठाना तथा सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ रियायत या प्रत्यक्ष लाभ देने की कोशिशों को अर्थशास्त्र से ज्यादा राजनीतिक शास्त्र माना जाएगा। कितु इस बजट का यहीं तक सीमित करने से इसका पूर्ण और निष्पक्ष आकलन नहीं हो पाएगा। चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी इस बजट में विकास का व्यापक विजन और कार्ययोजना सन्निहित है।