वैसे तो हिंदू धर्म में कई ऐसे त्यौहार है जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं और विशेषताओं को लेकर काफी प्रसिद्ध है। लेकिन रक्षाबंधन हिंदू धर्म का ऐसा त्यौहार है जिसे भाई-बहन के प्रेम के स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। बहन द्वारा कलाई पर बांधे गए रक्षा सूत्र के बाद भाई बहन की रक्षा के लिए बाध्य हो जाता है हो जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्यौहार की शुरुआत कैसे हुई ?
आधायत्म डेस्क। वैसे तो हिंदू धर्म में कई ऐसे त्यौहार है जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं और विशेषताओं को लेकर काफी प्रसिद्ध है। लेकिन रक्षाबंधन हिंदू धर्म का ऐसा त्यौहार है जिसे भाई-बहन के प्रेम के स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है। वहीं बहन भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और उसे मिठाई खिलाती है और उसकी सदैव स्वस्थ रहने की कामना करती है। बहन द्वारा कलाई पर बांधे गए रक्षा सूत्र के बाद भाई बहन की रक्षा के लिए बाध्य हो जाता है हो जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्यौहार की शुरुआत कैसे हुई ?
कैसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत?
वैसे तो रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियां प्रचलित है उन्हें में से एक है मां संतोषी की कहानी। पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक दिन भगवान श्री गणेश अपनी बहन मनसा देवी से रक्षा सूत्र बनवा रहे थे। इस दौरान उनके दोनों पुत्र शुभ लाभ ने अपने पिता गणेश जी से पूछा कि आखिर यह क्या है। बेटों को समझाते हुए गणेश जी ने बताया रक्षा सूत्र आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इसके बाद शुभ लाभ एक बहन की जिद करने लगे । दोनों पुत्रों की हड देखकर भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि सिद्धि की आत्म शक्ति को इसमें सम्मिलित कर एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम संतोषी पड़ा और दोनों भाइयों को रक्षाबंधन के मौके पर एक बहन मिली।
यह और यमुना की कहानी
एक पौराणिक कथा यह भी है की मृत्यु के बाद देवता यम अपनी बहन यमुना से 12 साल तक मिलने नहीं गए। इस बात से यमुना को काफी आघात पहुंचा और उन्होंने मां गंगा से बात की। मां गंगा भी यमुना का दुख दुख देखा नहीं सकी और उन्होंने यह बात यम तक पहुंचाई। जिसके बाद यम बहन यमुना से मिलने दौड़े चले आए। बहन यमुना का प्यार देखकर यम भी काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन से वरदान मांगने को कहा यमुना ने वरदान मांगते हुए कहा कि वह यम के फिर आने की कामना करती है इसके बाद से हर साल यम अपनी बहन के पास जाने लगे।
भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
महाभारत के दौरान एक बार राज शिव यज्ञ के लिए पांडवों ने भगवान कृष्ण को आमंत्रित किया इसमें भगवान की चचेरे भाई शिशुपाल भी मौजूद थे। शिशुपाल ने कृष्ण का बहुत अपमान किया। जब शिशुपाल अपनी हद लांघ गए। तो क्रोध में जाकर भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल पर अपना सुदर्शन चक्र छोड़ दिया और शिशुपाल का सिर कट गया। सुदर्शन चक्र से उनकी तर्जनी में गहरा घाव हो गया और रक्त बहने लगा। सभा में मौजूद द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण को पीड़ा में ना देख सकीं और उन्होंने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह द्रोपदी के साथ हमेशा रहेंगे और उसकी रक्षा करेंगे।
महारानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की कहानी
चित्तौड़ पर सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण के दौरान महारानी कर्णावती ने अपनी राज्य की सुरक्षा के लिए सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी और राज्य की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। कर्णावती के इस प्रेम को देखकर हुमायूं ने भी राखी को स्वीकार किया और अपनी सैनिकों के साथ रक्षा के लिए चित्तौड़ निकल पड़े लेकिन उनके नसीब में रानी कर्णावती से राखी बंधवाना नहीं था। हुमायूं के चित्तौड़ पहुंचने से पहले रानी कर्णावती ने आत्महत्या कर ली थी।
इस साल कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन?
श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का यह पावन पर्व मनाया जाता है। बार श्रावण पूर्णिमा 30 अगस्त बुधवार की सुबह 10:58 से शुरू होकर 31 अगस्त गुरुवार की शाम 7:05 बजे तक होगी। इसलिए 30 और 31 अगस्त को रक्षाबंधन का यह पावन पर्व मनाया जाएगा।
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