Spirituality
रक्षाबंधन की तारीख को लेकर लोगों में कई तरह की शंकाएं हैं। 30 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन रात 9:00 बजे तक भद्रा रहेगी।
ज्योतिषों की माने, एक तिथि के दो भाग होते हैं जिन्हें करण कहते हैं। यह 11 प्रकार के होते हैं। इन्हीं में से एक का नाम विष्टी है। विष्टी का एक अन्य नाम भद्र भी है।
भद्रा का संयोग 1 महीने में कुछ खास तिथियां पर ही बनता है। चतुर्थी, अष्टमी, एकादशी और पूर्णिमा तिथि। भद्रा नक्षत्र में बहुत से शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
भद्रा में कई शुभ कार्य करने की मनाही होती है।रक्षाबंधन पर भाई को राखी बांधने के लिए भद्रा का त्याग किया जाता है। मान्यता है ऐसा करने से भाई के साथ कुछ अशुभ हो सकता है।
धर्म ग्रंथो के मुताबिक, भद्रा सूर्य देव की पुत्री,शनि देव की बहन है। इसका स्वरूप अत्यंत विकराल है। यह आकाश, पाताल और पृथ्वी पर घूमती रहती है। पूर्णिमा पर यह पृथ्वी पर ही रहती है।