मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 28 नवंबर को हुई वोटिंग में 2013 में हुए चुनावों के मुकाबले 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य के छह क्षेत्रों में मतदान के दौरान लोगों ने अधिक उत्साह के साथ बढ़ चढ़ कर भाग लिया। लोग सुबह से ही बड़े उत्साह के साथ लोकतंत्र के त्योहार में शामिल हुए।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 28 नवंबर को हुई वोटिंग में 2013 में हुए चुनावों के मुकाबले 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य के छह क्षेत्रों में मतदान के दौरान लोगों ने अधिक उत्साह के साथ बढ़ चढ़ कर भाग लिया। लोग सुबह से ही बड़े उत्साह के साथ लोकतंत्र के त्योहार में शामिल हुए। कुल 230 सीटों में से 194 सीटों के लिए हुये मतदान में वृद्धि देखी गई, वहीं 36 सीटों में कमी हुई है। 15 वर्षों से सत्ता से बाहर कांग्रेस को इस बार सत्ता में आने की पूरी उम्मीद है। पार्टी के नेताओं ने राज्य में फिर से घर वापसी की तैयारी करना शुरू कर दी है। हालांकि नीचे दिए गए विश्लेषण से पता चलता है कि उन्हें इतनी जल्दी जश्न शुरू नहीं करना चाहिए।
पिछले वर्षों के दौरान मतदान में हुई बढ़ोत्तरी
1980 में हुए चुनावों में राज्य में मतदान 50% रिकॉर्ड किया गया था, जो 1993 में बढ़कर 60% हो गया। 2008 में 70% मतदान दर्ज किया गया था, जो 2018 में 75% हो गया है। इस वृद्धि के कई कारण बताए जा रहे हैं जैसे -
अधिक मतदान का संकेत मौजूदा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर
मतदान में वृद्धि का मतलब है कि आम तौर पर लोग अपने पदाधिकारीयों से नाखुश हैं और उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाना चाहते हैं। उच्च मतदान आमतौर पर सरकार के परिवर्तन और इसके विपरीत के परिणामस्वरूप होता है। आइए इसके परीक्षण पर नजर डालते हैं-
मैंने 17 बड़े राज्यों के मतदान पैटर्न का विश्लेषण किया, जिनमें 2014 के लोकसभा चुनावों के साथ या बाद में मतदान हुआ था। इन राज्यों में से 12 राज्यों में मतदान में वृद्धि दर्ज की है। जिसमें से 11 राज्यों में मतदान के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है।
मध्यप्रदेश इस प्रवृत्ति का पालन नहीं करता
हालांकि यह प्रवृत्ति मध्यप्रदेश में काम नहीं कर रही है। पिछले चुनावों की तुलना में उच्च मतदान के बावजूद 2008 और 2013 में शिवराज सिंह चौहान फिर सत्ता में लौट आए। 2003 में मध्यप्रदेश में बीजेपी सत्ता में आई। जब 1998 में 60.2% से मतदान बढकर 67.3% हो गया। यह प्रवृत्ति के अनुरूप था। हालांकि, बाद में चुनाव 67.3% (2003 में) से 69.8% (2008 में) और 72.1% (2013 में) से मतदान में वृद्धि के बावजूद, मौजूदा बीजेपी हर बार सत्ता बनाए रखने में कामयाब रही है।
मध्यप्रदेश के उच्च मतदान वाले क्षेत्रों में बीजेपी ने किया अच्छा काम
राज्य में जीत प्राप्त करने के बाद, भाजपा मध्य प्रदेश में नंबर एक पार्टी के रूप में उभर कर सामने आती है। 2003 में इसका वोट शेयर 42.5% था, जो 2013 में बढ़कर 44.9% हो गया है। इससे न केवल बीजेपी ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है , बल्कि बीजेपी उन क्षेत्रों में अच्छी तरह से काम करती है, जहां से उसे अच्छे वोट प्राप्त होते हैं। बीजेपी को मालवा ट्रिबल, मालवा उत्तर और महाकोशाल क्षेत्रों से अधिक वोट प्राप्त हुये हैं। जहां मतदान राज्य में औसत मतदान से अधिक था। महाकोशल में बीजेपी ने 45.7% वोट की हिस्सेदारी प्राप्त की। वहीं मालवा जनजातीय में 45.8% और मालवा उत्तर में 44.8% के औसत के मुकाबले 51.8% की हिस्सेदारी प्राप्त की। चंबल और विंध्य प्रदेश में 2013 में राज्य औसत के मुकाबले मतदान कम था, पार्टी ने राज्य औसत से कम क्रमश: 37.9% और 39.1% वोट की हिस्सेदारी दर्ज की थी।
महिला मतदाताओं में हुई वृद्धि बीजेपी के लिए अच्छा संकेत
शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में महिलाओं का मजबूत वोट बैंक तैयार कर रखा है। उनकी लोकप्रिय योजनाएं जैसे लाडली लक्ष्मी, कन्यादान/निकाय, प्रसूति सहायता योजना ने महिला अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से काम किया है। साक्षरता के स्तर में बढोतरी के कारण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।
30 लाख महिला वोटरों की वृद्धि शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में काम कर सकती है, क्योंकि यह उनकी ठोस वोट बैंक हैं। केंद्र सरकार की पीएमएवाईजी और उज्ज्वला योजनाओं ने बीजेपी के पक्ष में वोट बैंक तैयार किया है। मध्यप्रदेश ने इन दोनों योजनाओं के तहत 60 लाख से अधिक महिलाओं और उनके परिवारों को खुशी दी। इन दोनों योजनाओं पर अच्छे से काम करने वाला मध्यप्रदेश भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य है।
आरएसएस के खिलाफ टिप्पणी
जमीनी स्तर की रिपोर्टों के मुताबिक बीजेपी के पक्ष में मतदान हुआ है। इसके लिए दो प्रमुख कारण हैं: