मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कैंसर की चौथी स्टेज से निपटने के लिए प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट बनाई है। दवा को अगर अप्रूवल मिल गया तो जल्द ही कैंसर से जूझ रहे लाखों पेशेंट्स को राहत मिल सकती है।
लाइफ़स्टाइल। कैंसर की बीमारी जानलेवा होती है। अगर सही समय पर इलाज न मिल पाए तो कैंसर सेल्स पूरे शरीर में फैलने लगती हैं। कैंसर की समस्या से निजात पाने के लिए मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने ऐसी दवा बनाई है जो कैंसर की चौथी स्टेज में प्रभावी होगी। फिलहाल टैबलेट को FSSAI की ओर से एप्रूवल मिलने की देरी है। जानिए कैंसर ट्रीटमेंट के लिए बनाई गई टैबलेट क्यों है खास।
दोबारा कैंसर का खतरा हो जाएगा कम
टाटा इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने सालों की मेहनत के बाद ऐसी टैबलेट बनाई है जो कैंसर के पेशेंट्स के लिए वरदान साबित हो सकती है। टैबलेट का इस्तेमाल न सिर्फ दोबारा कैंसर होने से रोकेगा बल्कि रेडिएशन और कीमोथेरिपी से होने वाले दुष्प्रभाव को भी कम करेगा।
एनडीटीवी से बात करते हुए सीनियर कैंसर सर्जन डॉ राजेंद्र बडवे ने बताया कि पहले चूहों में कैंसर सेल्स को डाला गया था ताकि ट्यूमर का फॉर्मेशन हो सके। इसके बाद चूहों को रेडिएशन थेरिपी, कीमोथेरिपी और फिर सर्जरी की गई। स्टडी में पता चला कि मरी हुई कैंसर कोशिकाओं से क्रोमेटिक पार्टिकल रिलीज हुआ जो कि खून के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में पहुंचा। इस पार्टिकल ने अन्य स्वस्थ्य कोशिकाओं को भी कैंसरस बना दिया। इसके बाद रिसर्चर्स ने प्रो ऑक्सीडेंट टैबलेट का इस्तेमाल किया। टैबलेट ने क्रोमेटिन पार्टिकल को नष्ट कर दिया।
कीमत होगी केवल 100 रुपये
कैंसर का इलाज महंगा होता है। ऐसे में अगर 100 रुपये में मिलने वाली इस कैंसर टैबलेट को मंजूरी मिल जाती है तो कैंसर पेशेंट के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं होगा। कैंसर के इलाज के दौरान होने वाले दुष्प्रभाव और दोबार कैंसर के फैलने के खतरे को टैबलेट की मदद से कम किया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि मार्केट में कैंसर टैबलेट तीन से चार महीने में आ सकती है।
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