एक बैल से एक घंटे में 10 किलोवाट बिजली, पूर्व डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह का कमाल का इनोवेशन, विदेशी भी फिदा

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 9, 2023, 1:09 PM IST

एक बैल एक घंटे में 10 किलोवाट बिजली पैदा कर सकता है। आपको यह सुनकर अचरज हो रहा होगा। यूपी के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने यह कर दिखाया है। लखनऊ के गोसाईगंज स्थित नई जेल के पीछे बनी अपनी गौशाला में बैलों से बिजली पैदा कर रहे हैं। पूरे उपक्रम का नाम दिया है 'नंदी रथ'

लखनऊ। एक बैल एक घंटे में 10 किलोवाट बिजली पैदा कर सकता है। आपको यह सुनकर अचरज हो रहा होगा। यूपी के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने यह कर दिखाया है। लखनऊ के गोसाईगंज स्थित नई जेल के पीछे बनी अपनी गौशाला में बैलों से बिजली पैदा कर रहे हैं। पूरे उपक्रम का नाम दिया है 'नंदी रथ'। यह वर्ल्ड पेटेंट इनोवेशन विदेशी कम्पनियों को भी पसंद आ रहा है। अफ्रीका सहित कई देशों की कम्पनियां कार्बन क्रेडिट के लिए उन्हें अप्रोच भी कर रही हैं। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि हमारी प्राथमिकता है कि पहले इस टेक्नोलॉजी का भारत में यूज हो।

नंदी रथ बनाने की रोचक है कहानी

नंदी रथ शुरु करने की कहानी भी बहुत रोचक है। जब शैलेंद्र सिंह बच्चे के लिए शुद्ध दूध की तलाश में निकले तो वह नहीं मिला। फिर मई 2017 में 5 गाय को लेकर गौशाला शुरु कर दिया। दूध की डिमांड बढ़ी। गौशाला में जन्में बछड़े भी समय के साथ बड़े हुए तो सोचा कि अब इनका क्या किया जाए? फिर उन्हें बैलों से बिजली बनाने का विचार कौंधा और फरवरी 2020 में 8 बैलों से 20 किलोवाट प्रति घंटा बिजली बनाई। उस समय CM योगी आदित्यनाथ के आर्थिक सलाहकार, AKTU (Dr. A. P. J. Abdul Kalam Technical University) के वीसी, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी भी मौके पर शैलेंद्र सिंह का इनोवेशन देखने पहुंचे।

 

नया कंसेप्ट से बढ़ा बिजली का उत्पादन

तब शैलेंद्र सिंह से बैलों के द्वारा बड़े स्तर पर बिजली बनाने के बारे में पूछा गया। उस समय बिजली बनाने के मॉडल में बैल गोल-गोल घूमते थे। जिसकी वजह से ज्यादा जगह की आवश्यकता थी। एक आदमी उन बैलों को हांकने के लिए भी चाहिए था और बैलों पर लोड भी पड़ रहा था। उन्होंने पूरे मैकेनिज्म को सरल बनाने पर काम शुरु किया। तभी मार्च 2020 में लॉकडाउन लग गया। उसी लॉकडाउन में शैलेंद्र सिंह ने ट्रेड मिल की तरह का एक मॉडल डेवलप किया, कई प्रयोग करते रहें और फिर नंदी रथ का कंसेप्ट आया। 

आटा चक्की, कोल्हू चलाने, चारा काटने में भी इस्तेमाल

नंदी रथ के कंसेप्ट में अब बैल ज्यादा जगह नहीं लेते हैं, उनके चलने से पैदा होने वाले मैकेनिकल पॉवर को गियर बॉक्स बढ़ा देता है, जो की वर्ल्ड पेटेंट है। यह गियर बॉक्स 1500 आरपीएम तक पॉवर देता है, जिस पर कोई भी नॉर्मल अल्टरनेटर बिजली बना सकता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल आटा चक्की, कोल्हू या चारा काटने के काम में भी किया जा सकता है।

अब 10 किलोवाट प्रति घंटा बिजली पैदा करेंगे नंदी

शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि इसको इम्प्रूव किया जा रहा है। अब तक हम 5 किलोवाट बिजली प्रति घंटा पैदा कर रहे थे। आने वाले कुछ महीनों में एक नंदी 10 किलोवाट प्रति घंटा बिजली पैदा करेंगे। अभी बिजली का इस्तेमाल हम अपने निजी कामों में कर रहे हैं। आगे इसको ग्रिड में भी भेजा जा सकता है। 
 

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