वेस्ट बंगाल का ये फूड डिलीवरी एजेंट बना बेगर्स चाइल्ड का सहारा, कैंसिल ऑर्डर का फ्री खाना-एजूकेशन भी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Mar 27, 2024, 6:32 PM IST

वेस्ट बंगाल का एक फूड डिलीवरी एजेंट बेगर्स चाइल्ड का सहारा बना है। वह कैंसिल फूड आइटम फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को खिलाते हैं। उनके लिए फ्री एजूकेशन का भी अरेंजमेंट किया है। 

कोलकाता। वेस्ट बंगाल का एक फूड डिलीवरी एजेंट बेगर्स चाइल्ड का सहारा बना है। वह कैंसिल फूड आइटम फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को खिलाते हैं। उनके लिए फ्री एजूकेशन का भी अरेंजमेंट किया है। हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के रहने वाले पथिकृत साहा की। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए वह कहते हैं कि साल 2017 में दमदम में गवर्नमेंट जॉब छोड़ने के बाद फूड डिलीवरी एजेंट बना। कम्पनी की पॉलिसी के मुताबिक, यदि फूड आइटम डिलीवरी बॉय लेकर निकल चुका है तो ऑर्डर कैंसिल होने के बाद वह खाना खुद रख सकता है। मैं वह खाना फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को देने लगा। 

कैसे मिली प्रेरणा?

पथिकृत साहा फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का भी काम कर रहे हैं। इसकी प्रेरणा उन्हें दम दम कैंटोनमेंट रेलवे स्टेशन पर एक भीख मांगते हुए बच्चे की हालत देखकर मिली। 6 साल का बच्चा उनसे बार—बार पैसे मांग रहा था और वह नजरअंदाज कर रहे थे, तब उस मासूम ने पथिकृत से ऐसी बात कही, जिसने उन्हें ऐसे बच्चों के लिए काम करने पर मजबूर कर दिया। मासूम ने कहा था कि यदि वह खाली हाथ गया तो मॉं घर से निकाल देगी।

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने को शुरू किया ये काम

पथिकृत उस बच्चे को पैसा देकर आगे बढ़ सकते थे। पर उन्हें महसूस हुआ कि इस तरह इन मासूमों की जिंदगी में बदलाव नहीं आएगा। ये बच्चे कभी आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे। एजूकेशन के जरिए ही इनका भविष्य बेहतर हो सकता है और इसी सोच के साथ उन्होंने बच्चों को खाना खिलाने और एजूकेट करने का काम शुरू कर दिया। दोस्तों ने भी साथ दिया। दम दम कैंटोनमेंट में सिर्फ 3 बच्चों के साथ पढ़ाई की शुरूआत हुई। अब वहां लगभग 30 गरीब बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।  

 

पहले भी दोस्तों के साथ मिलकर करते थे जरूरतमंदों की मदद

बेगर्स चाइल्ड को खाना खिलाने और एजूकेशन देने से पहले भी वह सोशल वर्क कर रहे थे। साल 2013 में दोस्तों के साथ मिलकर जरूरतमंदों को कंबल, कपड़े और फूड आइटम बांटते थे। 2015 में गवर्नमेंट जॉब भी मिली। पर वह सोशल वर्क की राह में रोड़ा बन रही थी। यह देखकर पथिकृत साहा ने 2017 में गवर्नमेंट जॉब छोड़ दी और फूड डिलीवरी एजेंट बने और फिर गरीब बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए उनको एजूकेशन देना शुरू कर दिया।

गरीब बच्चों के जीवन में नये रंग

हालांकि समय के साथ अब लोग ऑर्डर कम कैंसिल करते हैं। फिर भी बच्चों ने पढ़ाई के लिए पाठशाला आना शुरू कर दिया। वह बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए उनका एडमिशन सरकारी स्कूलों में भी कराते हैं। उन्हें कॉपी, किताबें वगैरह भी उपलब्ध कराते हैं। उनका यह प्रयास गरीब बच्चों के जीवन में नये रंग भर रहा है। 

ये भी पढें-जब बंदी के ​कगार पर था सबका बिजनेस, खड़ा ​कर दिया बड़ा कारोबार, एक टेक्स्ट मैसेज से आया था ये आइडिया...

click me!