फेरी वाले पिता की टॉपर बेटी 'इकरा'

By Kavish AzizFirst Published Jul 14, 2023, 3:43 PM IST
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लखनऊ की इकरा रिज़वान वारसी को लखनऊ यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में 3 गोल्ड मैडल के साथ बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिला, इसके पहले भी उन्हें लखनऊ यूनिवर्सिटी में कई अवार्ड मिले हैं, इस अवार्ड के पीछे की इकरा की मेहनत के साथ उनके पिता की जी तोड़ मेहनत है क्यूंकि वो एक फेरी वाले हैं।  

 

लखनऊ.इंदिरा नगर के भूतनाथ के पास एक छोटे से घर में इकरा अपनी फैमिली के साथ रहती हैं, इस साल उन्हें लखनऊ यूनिवर्सिटी में बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिला साथ ही दो गोल्ड मेडल और मिले, पिछले साल भी उन्हें लखनऊ यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल मिला था, इस गोल्ड मेडल के पीछे इकरा के पिता की जी तोड़ मेहनत है जो चौराहों पर खड़े होकर ईयर फोन, डाटा केबल बेचते हैं।

कोविड में गयी नौकरी तो इकरा के पिता बन गए फेरी वाले 
इकरा के तीन बहन और एक भाई है, दो छोटी जुड़वा बहने सिक्स क्लास में है जबकि भाई ट्वेल्थ क्लास में पढ़ता है, इकरा के पिता रिजवान वारसी स्प्रे पेंटिंग का काम करते थे लेकिन कोविड-में उन की नौकरी चली गई, उनके सामने घर की जिम्मेदारी थी बच्चों की फीस, उनकी किताबें, घर का राशन और तमाम खर्चे थी, इस मुश्किल वक्त में उनका साथ दिया उनकी पत्नी तरन्नुम ने तरन्नुम ने घर में मास्क बनाना शुरू किया, इकरा के पिता शहर के चौराहे पर खड़े होकर बेचते थे, कोविड में इस काम से उन्हें थोड़ी बहुत आमदनी हुई लेकिन कोविड खत्म होने के बाद मास्क बिकना बंद हो गए, एक बार फिर रिजवान के सामने आमदनी का मसला खड़ा हुआ, रिजवान ने ईयर फोन और डाटा केबल स्कूलों के बाहर खड़े होकर बेचना शुरू किया इस काम से महीने में पांच से छ हज़ार रुपये आने लगा, लेकिन इतने पैसे में बच्चों की फीस उनकी किताबें घर का राशन मैनेज करना बहुत मुश्किल था, रिजवान ने अपने बेटे को पार्ट टाइम जॉब पर लगवा दिया जहां उसे चार हज़ार रुपये मिलने लगे।


 घर से 32 किलोमीटर दूर जाते हैं ईयर फोन बेचने

कुछ समय बाद ईयर फोन और डाटा केबल भी बिकना बंद हो गया दिन भर धूप में खड़े रहने के बाद भी 100, 50 की आमदनी होती रही, किसी ने राय दिया कि अस्पताल के बाहर खड़े होकर डाटा केबल और ईयर फोन बेचो, रिजवान ने गोमती नगर इंदिरा नगर के अस्पतालों के बाहर खड़े होकर अपना काम शुरू किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, एक दिन वह घर से 32 किलोमीटर दूर पीजीआई गए, वहां उन्हें फायदा हुआ और कई ईयर फोन और डाटा केबल बिक गए, अब रिजवान हर रोज 30 किलोमीटर दूर एक झोले में अपना सामान लादकर पीजीआई जाने लगे।

हर साल मिलता है गोल्ड मेडल

माय नेशन से बात करते हुए इक़रा ने बताया कि उन्हें हाईएस्ट मार्क्स और परसेंटेज के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सम्मानित किया था, पिछले साल भी इकरा को बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिला था, फ्यूचर में इकरा उर्दू सब्जेक्ट में में अपना करियर बनाना चाहती हैं और प्रोफेसर बनना चाहती हैं।

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