सत्यप्रकाश बनारस के गांव ईश्वरपुर से ताल्लुक रखते हैं, इस वक्त वो बीएचयू से पीएचडी कर रहे हैं और बीएचयू में ब्रजनाथ हॉस्टल में रहते हैं उनके पिता फूलचंद सरकारी टीचर हैं और मां मीरा देवी हाउसवाइफ है, वो तीन भाई बहन है, सत्यप्रकाश ने जब अपने पिता से बिजनेस की बात कही तो घर वालों ने उनका विरोध किया क्योंकि पिता का सोचना था कि बेटा दिव्यांग है, नौकरी करके सेफ जोन में रहेगा लेकिन सत्य प्रकाश ने ठान लिया था की उन्हें बिजनेस करना है। 


पब्लिक फीडबैक ने मसले के बिज़नेस के लिए किया प्रेरित
इस दौरान उन्होंने मोमबत्ती और किताबें बेचने का भी काम किया, काफी रिसर्च करने के बाद सत्यप्रकाश ने तय किया कि वह मसालों का बिजनेस करेंगे क्योंकि मसाला हर घर की जरूरत होती है,अपने गुरु की मदद से ढाई लाख रुपए की लागत से उन्होंने कुछ प्रोडक्ट और मशीनें खरीदी और स्थानीय महिलाओं की मदद से मसाला बनाना तैयार किया, मसाले की टेस्टिंग के लिए कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों को मसाले भेजे जहां से पॉजिटिव फीडबैक मिला, इस फीडबैक ने सत्य प्रकाश को हौसला दिया और वह तन मन धन से इस फील्ड में लग गए।

काम के लिए किया जाने लगा सम्मानित 

मसालों के काम के लिए उन्हें कई लोगों ने फंड किया,सोशल मीडिया पर संपूर्ण काशी डॉट कॉम के नाम से वेबसाइट बनाई और धीरे-धीरे उनका मसाला फेमस होने लगा, जिसके बाद एग्जिबिशन और मेले में उनको स्टाल लगाने की ऑफर मिलने लगे,शहर में उनके काम को लेकर सम्मान समारोह में सम्मनित किया जाने लगा, छोटे बड़े कार्यक्रमों से  निमंत्रण  आने लगा,वाराणसी के  छोटे गांव से लेकर शहर तक उनके मसालों की चर्चा होने लगी।

इन्वेस्टर सम्मिट में सत्य प्रकाश के मसालों की धूम 

सत्य प्रकाश के मसालों का स्टाल इन्वेस्टर सम्मिट में भी लगा जहाँ बड़े बड़े व्यापारियों ने उनकी हौसला अफ़ज़ाई करते हुए उनके मसालों की सराहना की। सत्य प्रकाश कहते हैं भले ही मैं देख नहीं सकता लेकिन महसूस करता हूं समझ सकता हूं और किसी भी चीज का जायका बता सकता हूं। वो कहते हैं मसाले के लिए हम किसानों से रॉ  मटेरियल लेते हैं, उन मसालों को धूप में सुखाते हैं, ग्राइंड करते हैं और पैकेजिंग से पहले उसको टेस्ट करते हैं, आज सत्यप्रकाश के मसाले राजस्थान बिहार समेत देश के कई राज्यों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। उनके बिज़नेस का आज सालाना टर्नओवर 3 लाख रूपये है।

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