Success Story: बच्चे पढ़ाई के सिलसिले में बाहर चले गए। घर में कोई काम नहीं बचा तो गोपालगंज की रहने वाली रेखा देवी ने खाली समय में ऐसा काम किया कि मशहूर हो गई। घर बैठे लाखो रुपये की इनकम होने लगी।
Success Story: आमतौर पर महिलाओं को घर का कामकाज निपटाने से ही फुर्सत नहीं मिलती है। परिवार संभालने के साथ उन्हें और कुछ करने का समय नहीं मिलता। गोपालगंज (बिहार) के हथुआ गांव की रहने वाली गृहिणी रेखा देवी के साथ भी ऐसा ही था। पर जब बच्चों को पढ़ाई के सिलसिले में बाहर जाना पड़ा। तब उन्हें समय मिला। खाली समय में बोर होने लगीं तो सोचा कि क्यों न इस समय का सुदपयोग किया जाए और घर के बेकार पड़े कमरे में मशरूम की खेती शुरु कर दी। धीरे-धीरे मुनाफा होना शुरु हो गया। अब सालाना लाखो रुपये कमा रही हैं।
मशरूम की खेती के बारे में जुटाई जानकारी
रेखा देवी के मुताबिक, पढ़ाई के सिलसिले में बच्चों के बाहर जाने के बाद खाली समय में वह उबने लगीं। उनका घर बड़ा था, कई कमरे थे तो खाली समय में कमरों में मशरूम की खेती करने का आइडिया आया। उन्होंने मशरूम की खेती के बारे में जानकारी जुटानी शुरु कर दी। इसके लिए मीडिया के विभिन्न माध्यमों का सहारा लिया। राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा से ट्रेनिंग ली। जब रेखा देवी ने मशरूम की खेती के बारे में पर्याप्त जानकारी हासिल कर ली तो घर के एक खाली कमरे से मशरूम की खेती शुरु कर दी। वह कहती हैं कि डेली एक कमरे से 5 से 6 किलो मशरूम का उत्पादन करती हैं। बाजार में 200 रुपये किलोग्राम तक बिक जाता है। खरीददार इनके घर भी आते हैं और मार्केट में भी बिकता है।
मशरूम की खेती से सुधरी माली हालत
शुरुआत में ही एक कमरे में मशरूम का बढ़िया उत्पादन हुआ। मार्केट से अच्छा रिस्पांस मिला। यह देखकर रेखा देवी का उत्साह बढ़ा। उन्होंने मशरूम की अन्य वैरायटी के बारे में भी जानकारी शुरु कर दी और एक ही कमरे में कई वैरायटी के मशरूम उगाए। धीरे-धीरे घर के दूसरे कमरों में भी मशरूम की खेती शुरु कर दी। उसकी बिक्री से अच्छी आय होने लगी। नतीजतन परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरी। अब वह पूरे साल अपने घर के कमरों में मशरूम का उत्पादन करती हैं।
सालाना कमा रहीं 3 से 4 लाख रुपये
रेखा का खाली समय में टाइमपास करने के मकसद से किया गया काम जिंदगी बदलने वाला निकला। अब वह मशरूम उत्पादन करने वाली किसान के रूप में जानी जाती हैं। साल भर में उनकी 3 से 4 लाख कमाई हो जाती है। वह खुद ही आत्मनिर्भर नही बनीं, बल्कि वह अन्य महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़े होने में मदद कर रही हैं। मशरूम की खेती की ट्रेनिंग देती हैं। इलाके में वह महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं। वह मशरूम के अचार, बिस्किट भी बनाती हैं। उन्हें मशरूम उत्पादन के लिए कई अवार्ड भी मिले हैं।