गरीब बच्चे पढ़ सकें-आगे बढ़ सकें। इसलिए 7 बस्तियों में फ्री ट्यूशन क्लासेज। पढ़ाई के लिए जरूरी चीजें, ताकि बच्चे रेगुलर स्कूल जा सकें। सरकारी मदद से नहीं बल्कि खुद पैसा जुटाकर लखनऊ के युवा ऐसे 300 से ज्यादा बच्चों के लिए Helping Hands बने हैं।
लखनऊ। साल 2016 में सड़क पर बच्चों को भीख मांगते, गुब्बारे बेचते देखकर ऐशबाग, मालवीय नगर, लखनऊ के रहने वाले मोहित सिंह चौहान को ठीक नहीं लगा। ऐसे बच्चों से बात की। उनके पैरेंट्स को समझाया कि अगर बच्चा स्कूल जाएगा, पढ़ लिख जाएगा तो परिवार संवर जाएगा। कुछ पैरेंट्स ने उनकी बात समझी, कुछ ने इग्नोर किया। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए वह कहते हैं कि रहीमनगर बस्ती से बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की। अब शहर की 7 बस्तियों में फ्री क्लासेज चलाते हैं।
समान विचारधारा के यूथ मिले और शुरु हो गई 'फुलवारी पाठशाला'
मोहित सिंह का इवेंट से जुड़ा खुद का बिजनेस है। ऐसे ही बच्चों को ऐशबाग की ही रहने वाली मानसी प्रीत भी पहले से पढ़ा रही थीं। जब समान विचारधारा के यूथ एक साथ मिले तो 'द मदर्स लैप वेलफेयर फाउंडेशन' अस्तित्व में आया। वालंटियर के रूप में भी कई युवा जुड़े। मोहित कहते हैं कि हमने सोचा कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए, क्योंकि सारे बच्चे पढ़ने के लिए घर नहीं आ सकते तो बस्तियों में जाकर उनके पैरेंट्स से बात की और बच्चों को पढ़ाना शुरु कर दिया। क्लासेज का नाम रखा 'फुलवारी पाठशाला'।
इन 7 बस्तियों में चल रहीं क्लासेज
मोहित कहते हैं कि बस्तियों में जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे या फिर उन्होंने बीच में पढ़ाई छोड़ दी थी। ऐसे बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराया। बच्चे रेगुलर स्कूल जाने लगें। बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत रहीमनगर बस्ती से हुई थी। अब पंतनगर, इंद्रप्रस्थनगर, ऐशबाग, देवा खेड़ा और सपेरों की बस्ती हरीकंस गढ़ी में भी फुलवारी पाठशाला की क्लासेज चलती हैं। उन बस्तियों के नजदीक रहने वाले वालंटियर बच्चों को पढ़ाते हैं। यह एक तरह से ट्यूशन क्लास की तरह है, जो बच्चों की पढ़ाई में सपोर्ट करती है।
पढ़ाई से लेकर जरूरत की चीजों तक सपोर्ट
फुलवारी पाठशाला में 300 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। इंटरमीडिएट तक के स्टूडेंट शामिल हैं। बस्तियों में टेम्परेरी क्लास बनी है, जो बच्चे पढ़ाई से संबंधित जरूरी चीजें अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। उसके लिए युवाओं की यह टीम अपने दोस्तों से पैसा इकट्ठा करके बच्चों की फीस, कॉपी-किताब, बैग, स्वेटर, पानी की बोतल वगैरह उपलब्ध कराती है।
दूरी की वजह से बच्चों ने छोड़ा स्कूल, दिलाईं 50 साइकिल
साल 2019 में मोहित की टीम को पता चला कि तमाम बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, उनसे बातचीत की गई तो पता चला कि स्कूल दूर है। बच्चों के पास साइकिल नहीं है। फिर ऐसे बच्चों को चिन्हित किया गया तो उनकी संख्या 50 निकली। उन बच्चों को लोगों की मदद से साइकिल दिलाई गई। फुलवारी पाठशाला की टीम समय-समय पर बच्चों के जरूरत की चीजों पर डिस्कस करती है और उन्हें उपलब्ध कराने की कोशिश भी करती है।
बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने को करते हैं ये काम
सड़क पर भीख मांगने-सामान बेचने वाले बच्चों को कोई अपने पास भी बिठाने से कतराता है। इसका असर ऐसे बच्चों के मनोबल पर पड़ता है। फुलवारी टीम ने यह समझा। मोहित सिंह कहते हैं कि कोशिश करते हैं कि बच्चे अलग-अलग इवेंट में पार्टीशिपेट करें ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े। वह खुद को समाज की मुख्य धारा से खुद को कटा हुआ न समझें। पिछले साल उनकी पाठशाला के एक बच्चे ने ड्राइंग कॉम्पिटिशन में अवार्ड भी जीता था। पढ़ने वाले बच्चों को चिन्हित कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए भी लोगों से मदद ली जाती है।
Last Updated Feb 23, 2024, 2:50 PM IST