दिन में इंफोसिस में ऑफिस बॉय-रात में पढ़ाई कर सीखा हुनर, अब लाखो रुपये महीने की कमाई, पीएम मोदी की तारीफ भी

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Dec 25, 2023, 7:11 PM IST
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दादा साहेब को डिजाइन और ग्राफिक्स कंपनी में काम के दौरान एक स्कोप दिखा। उन्होंने दोबारा यूज होने वाले डिजाइन और टेम्पलेट्स की लाइब्रेरी पर वर्क करना स्टार्ट कर दिया, क्योंकि उन्हें यह अच्छा विकल्प लगा। यह डिजाइन और टेम्पलेट्स मार्केट में बिकने लगे।

नयी दिल्ली। महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले दादा साहेब भगत (Dadasaheb Bhagat) कभी आईटी कंपनी इफोसिस में ऑफिस बॉय का काम करते थे। उनका ख्वाब कुछ बड़ा करने का था। रात में एनिमेशन सीखने लगे। अब वह दो कंपनियां Ninthmotion और DooGraphics चलाते हैं। जिससे महीने में लाखो रुपये की कमाई होती है। 

पुणे से आईटीआई के बाद ऑफिस ब्‍वॉय की जॉब

दादा साहेब का जन्म 1994 में हुआ था। परिवार जीविका के लिए खेती-किसानी पर निर्भर था। वह भी परिवार के साथ साल के 6 महीने गन्ने के खेत में मजदूरी करने जाते थे। गांव में ही दसवीं तक पढें और पुणे से आईटीआई की। उसके बाद इंफोसिस के गेस्ट हाउस में ऑफिस ब्‍वॉय की जॉब करने लगे।

दिन में नौकरी और रात में शुरु कर दी पढ़ाई

ऑफिस ब्‍वॉय की जॉब से उन्हें 9,000 रुपये महीने की सैलरी मिलती थी। वह इस नौकरी में कम्फर्ट फील नहीं कर रहे थे। इंफोसिस में नौकरी के दरम्यान ही उन्हें मौजूदा दौर में साफ्टवेयर के महत्व का पता चला तो उन्होंने भी नयी तकनीकी सीखने का मन बनाया। दिन में नौकरी करते थे और रात के समय ग्राफिक्स डिजाइनिंग और एनीमेशन की पढ़ाई शुरु कर दी। कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें मुंबई में जॉब भी मिल गई। हैदराबाद में भी नौकरी की और साथ ही C++ और Python कोर्स किया।

2015 में शुरु किया पहला स्टार्टअप

दादा साहेब को डिजाइन और ग्राफिक्स कंपनी में काम के दौरान एक स्कोप दिखा। उन्हें दोबारा यूज होने वाले डिजाइन और टेम्पलेट्स की लाइब्रेरी पर वर्क करना स्टार्ट कर दिया, क्योंकि उन्हें यह अच्छा विकल्प लगा। यह डिजाइन और टेम्पलेट्स मार्केट में बिकने लगे। पर कुछ समय बाद ही एक हादसे की वजह से उन्हें महीनों बिस्तर पर गुजारने पड़े। पर दादा साहेब ने बेड पर भी  डिजाइन और टेम्पलेट्स बनाना जारी रखा। उससे उनकी अच्छी कमाई हो रही थी, जो नौकरी से मिलने वाली सैलरी से ज्यादा थी। साल 2015 में उन्होंने Ninthmotion नाम से स्टार्टअप शुरु कर दिया। देखते ही देखते उनकी कम्पनी से 6000 कस्टमर जुड़ गए।

'मन की बात' में पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ

उसी दरम्यान लॉकडाउन की वजह से उन्हें गांव वापस जाना पड़ा। गांव पहुंचे तो गौशाला में ही एक टेम्परेरी आफिस बना लिया और साल 2020 में कैनवा जैसा देसी डिजाइनिंग साफ्टवेयर बना दिया और DooGraphics Pvt. Ltd के नाम से दूसरी कंपनी शुरु कर दी। उनकी सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में 'मन की बात' कार्यक्रम में उनके काम की तारीफ की थी। 

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