नैनीताल। हमारे देश में भगवान् के चरणों में फूल अर्पित करके लोग अपनी पूजा संपन्न करते हैं , त्यौहार हो या ग़म का माहौल फूल हर जगह एक अहम किरदार निभाते हैं। जब तक ये फूल ताज़ा रहते हैं इनकी इज़्ज़त रहती है जैसे ही ये सूखते हैं इनकी जगह डस्टबिन में पहुंच जाती हैं।  लेकिन नैनीताल के नैना देवी मंदिर में सूखे फूल भी रोज़गार देने का काम करते हैं।  है तो हैरत की बात लेकिन इसके पीछे जिस शख्स का नाम है वो डॉक्टर किरण तिवारी हैं जिन्होंने विस्तार से इस पूरी प्रक्रिया के बारे में माय नेशन हिंदी से बताया। 

कौन हैं डॉक्टर किरण तिवारी 

डॉक्टर किरण तिवारी चेली आर्ट्स संस्थान की संस्थापक हैं और उत्तराखंड के नैनीताल में रहती हैं। डॉक्टर किरण ने बताया की उनकी संस्था वेस्ट फूल और पत्तियों की मदद से कप्सों पर डिज़ाइन तैयार करती है। इसके पीछे एनवायरनमेंट सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। आप इसे बॉटनिकल आर्ट भी कह सकते हैं। आप ये कह सकते हैं इसमें वेस्ट फ्लावर्स और लीव्स को रिसाइकिल कर के उसे दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। 

क्या है पूरा प्रोसेस 

डॉक्टर तिवारी कहती हैं दरअसल इस काम के पीछे हमारे दो लक्ष्य हैं।  एक तो पर्यायवरण बचाना और दूसरे घरेलू महिलाओं को रोज़गार देना। आम तौर पर मंदिरों में फूल भगवन को अर्पित करने के बाद व्यर्थ हो जाते हैं इसलिए हमने नैना देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा को टारगेट किया जहां से व्यर्थ फूलों को इकठ्ठा किया जा सके। महिलाएं हर रोज़  नैना देवी मंदिर और गुरुद्वारा से  सूखे हुए वेस्ट फूल इकठ्ठा कर के लाती हैं। फिर उनकी पंखुड़ियों को अलग  किया जाता है। फूलों की पंखुड़ियों की डाई बनाई जाती है फिर कपड़े को साफ करके धोया जाता है और उसके बाद  डाई को कपड़े पर लगाया जाता है और डिज़ाइन बनाया जाता है। 

मल्लीताल के बाजार में मिलते हैं चेली आर्ट्स के प्रोडक्ट 
किरण कहती हैं कपड़ों के अलावा नेचुरल होली कलर्स, कुमकुम, ऑर्गनिक बूस्टर समेत  जैसे कई तरह के आर्गेनिक प्रोडक्ट्स हमारी संस्था की महिलाऐं बनाती हैं। किरण कहती है शहर के कई इवेंट्स में हम वर्कशॉप करते हैं ताकि हमारे काम के बारे में लोगों को पता चले और लोग हमसे जुड़ सकें। इस कृति को डॉक्टर किरण ने फुलारी आर्ट्स का नाम दिया है जिसके बारे में वो कहती हैं की फूल पत्तियों से कपड़ों पर डिज़ाइन बनती हैं इसलिए हमने इसे फुलारी आर्ट  का नाम दिया है।  डॉक्टर किरण ने बताया की इस आर्ट को वो स्टोल साड़ी और दुपट्टो पर बनवाती हैं और नैनीताल के मल्लीताल के इलाकों के बाजार में इसे सेल करने के लिए भेजा जाता है। जो अलग अलग दामों पर सेल किये जाते हैं।  

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