इजरायल हमास वॉर से भारत का क्या नुकसान,​ कितनी प्रभावित होगी दुनिया?

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Oct 14, 2023, 11:16 AM ISTUpdated : Oct 14, 2023, 11:17 AM IST
इजरायल हमास वॉर से भारत का क्या नुकसान,​ कितनी प्रभावित होगी दुनिया?

सार

इजरायल हमास वॉर से भारत को क्या नुकसान हो सकता है? हमास के इजरायल पर अटैक के बाद इसकी समीक्षा की जा रही है। भारत ने भी मध्य पूर्व के अपने सभी साझेदारों से संपर्क बढ़ाया है। यह भी समीक्षा की जा रही है कि हमास-इजरायल युद्ध का दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?

नई दिल्ली: इजरायल हमास वॉर से भारत को क्या नुकसान हो सकता है? हमास के इजरायल पर अटैक के बाद इसकी समीक्षा की जा रही है। भारत ने भी मध्य पूर्व के अपने सभी साझेदारों से संपर्क बढ़ाया है। यह भी समीक्षा की जा रही है कि हमास-इजरायल युद्ध का दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? नतीजे कुछ भी हों पर व​र्तमान घटनाक्रम के बाद यही माना जा रहा है कि वॉर से सबसे ज्यादा फायदा ईरान का होने वाला है। 

खुद हमास ने भी जब यह स्वीकार किया कि हमले में ईरान ने उसकी मदद की तो ईरान का चेहरा दुनिया में एक विलेन की तरह उभरा। हालांकि तेहरान ने इससे पल्ला झाड़ा है। पर ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और सर्वोच्च धर्मगुरु अयातुल्लाह अली खामेनेई हमास आतंकियों की पीठें थपथपाते हुए दिखाई दिए। ईरानी राष्ट्रपति ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फिलिस्तीनी नागरिकों के मदद के लिए भी बात की। उस बातचीत का मकसद हमास की भी मदद करना था। 

क्या भारत मध्य पूर्व गलियारे को नुकसान पहुंचाना था मकसद?

फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसिज (FDD) के रिसर्च फेलो हुसैन अब्दुल-हुसैन ने इस सिलसिले में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि फिलीस्तीनियों से इजरायल पर हमास के हमले का कोई लेना-देना नहीं था, बल्कि अमेरिका प्रायोजित भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) परियोजना को नुकसान पहुंचाने की प्लानिंग थी। यह व्यापार मार्ग भारत को वाया संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल के जरिए यूरोप से जोड़ने की परियोजना है। चीन और ईरान के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ IMEC प्रतिस्पर्धा करता। उनका दावा है कि ऐसे हालात में इजराइल के साथ सऊदी अरब के सामान्यीकरण को रोकने की योजना बनाई गई और ​ईरान ने हमास को इजरायल पर हमले का आदेश दिया।

 

 

खमेनेई के शीर्ष सहयोगी ने किया जिक्र

हुसैन अब्दुल-हुसैन आगे ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के शीर्ष सहयोगी अली विलायती के एक बयान के बारे में लिखते हैं। जिसमें उन्होंने कहा है कि जो लोग सोचते हैं कि वे एक इकाई यानी इजरायल के साथ संबंधों को नॉर्मल करके और इस्लामी देशों से संबंधों को तोड़कर अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, उन्हें यह पता होना चाहिए कि वे मध्य पूर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र से व्यापार गलियारे बनाने जैसी अपनी योजनाओं से क्षेत्र की सुरक्षा खतरे में डाल रहे हैं। अली विलायती ने आगे कहा है कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने साबित कर दिया है कि पश्चिमी उपनिवेशवाद ने जायोनीवादियों के लिए जो सुरक्षित घर बनाया है। वह कमजोर है।

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