इस समुदाय ने रखी इजरायल की बुनियाद, बुद्धिजीवियों का गढ़, सैन्य-राजनीतिक नेता भी रहें हावी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Oct 18, 2023, 2:31 PM IST

हमास ने इजरायल पर हमले में सबसे पहले कफ़र अज़ा, नहाल ओज़े और मेगान शहरों को ही निशाना बनाया। यहां रहने वाले किबुत्ज़ (किसान समुदाय) इजरायल का सबसे सफल समुदाय है। इस समुदाय के लोगों को किबुत्ज़निक कहा जाता है।

नई दिल्ली। हमास ने इजरायल पर हमले में सबसे पहले कफ़र अज़ा, नहाल ओज़े और मेगान शहरों को ही निशाना बनाया। यहां रहने वाले किबुत्ज़ (किसान समुदाय) इजरायल का सबसे सफल समुदाय है। इस समुदाय के लोगों को किबुत्ज़निक कहा जाता है। यह वही समुदाय है। जिसने इजरायल के गठन के बाद रक्षा, राजनीतिक और बौद्धिक विकास में बड़ा सहयोग किया।

संस्कृति और समाज पर दशकों तक रहे हावी

किबुत्ज़ समुदाय के लोग दशकों तक इजराइल की राजनीति, संस्कृति और समाज पर हावी रहे। यह समुदाय बुद्धिजीवियों का गढ़ भी रहा है। जहां से सैन्य और राजनीतिक नेता निकले। इस समुदाय की शुरुआत यहूदियों के लिए स्थाई घर बनाने के मकसद से की गई थी। प्रार्थना से ज्यादा जमीन से जुड़े लोगों ने अनूठी जीवन शैली विकसित की और ‘ज़ायोनिस्ट’ आदर्शों को मजबूत करने का काम किया।

किबुत्ज समुदाय की शुरुआत 1909 में

देखा जाए तो इजरायल की आबादी में इनकी संख्या कम रही। पर किबुत्ज समुदाय ने इजरायल को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। इस समुदाय की शुरुआत 1909 में यहूदी राष्ट्रीय कोष की जमीन पर हुई, जो किनेरेट लेक के किनारे स्थित था। उस समय ये क्षेत्र ओटोमॉन साम्राज्य के कंट्रोल में था। 12 यहूदियों के ग्रुप ने पहली बार डेगानिया में घर बनाए। इस समुदाय के लोगों ने पुरानी यहूदी बस्तियों से अलग हटकर घर बनाए। बाद में दूसरे लोग भी उनके नियमों का पालन करने लगे।

ये है किबुत्ज समुदाय की खासियत

किबुत्ज समुदाय की खासियत यह है कि यहां हर चीज पर हर किसी का हक माना जाता है। चाहे वह पर्सनल गिफ्ट हो या फिर जरुरत की चीजें। पूरा समुदाय हर काम को बांट कर बारी बारी से निपटाता था।​ जिस शख्स को एक दिन के लिए समुदाय का प्रशासक बनाया जाता था। वही दूसरे दिन सामूहिक रसोई के जूठे बतर्न धोता था। घर बनाने से लेकर मनोरंजन तक के काम लोग मिलकर करते थे। खाना भी सामूहिक रसोई में बनता था।

सिंचाई की नई तकनीकी डेवलप कर किया बड़ा काम

शुरुआत में किबुत्ज समुदाय को खेती किसानी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। प्रतिकूल मौसम, पानी की कमी थी। इसके बावजूद समुदाय के लोगों ने अपनी तरकीबों के दम पर रेगिस्तान को भी हरा भरा बनाया और कृषि का उद्यम स्थापित करने में कामयाब रहे। साल 1920 से 1930 तक इस समुदाय ने कई उद्योग खड़े किए। इजरायल की आबादी में इनकी हिस्सेदारी महज 2.5 फीसदी थी। पर यह कृषि उत्पादन में योगदान 33 फीसदी हो गया। यह सिंचाई की नई तकनीकी की वजह से संभव हो सका, जो किबुत्ज समुदाय ने डेवलप किया था। औद्योगिक उत्पादन में 6.3 फीसदी हिस्सेदारी हो गई।

लेबर सरकार के पतन के बाद हुआ बड़ा बदलाव

20वीं शताब्दी के मध्य तक किबुत्ज समुदाय ने तरक्की की। पर साल 1977 में लेबर सरकार का पतन हो गया। अगले दो दशकों में देश में आर्थिक संकट बढ़ा, जिसने इस समुदाय को प्रभावित किया। अब इस समुदाय के पास दो रास्ते थे या तो खुद को बदल लें या फिर पूरी तरह खत्म हो जाएं। फिर किबुत्ज समुदाय ने दोबारा अपने मूल्य गढ़े।

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