डॉक्टरों के सामने झुकने के लिए मजबूर हुईं ममता बनर्जी, स्वीकार की सारी मांगें

By Team MyNation  |  First Published Jun 16, 2019, 3:10 PM IST

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों की सभी मांगें स्वीकार कर ली हैं। यह सभी लोग कोलकाता के NRS कॉलेज में डॉक्टरों पर हुए हमले से नाराज थे। इन डॉक्टरों पर 85 साल के एक बुजुर्ग मो. सईद की ईलाज के दौरान मौत से नाराज सैकड़ों लोगों की भीड़ ने ईंट पत्थरों से हमला किया था। इस हमले में घायल एक डॉक्टर परिबोहो मुखर्जी की हालत अभी तक गंभीर है।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पिछले 5 दिनों से जारी हड़ताल शायद अब समाप्त हो जाए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जूनियर डॉक्टरों की सभी मांगे स्वीकार करके उन्हें काम पर लौटने के लिए कहा है। उन्होंने घोषणा की है कि सरकार निजी अस्पतालों में भर्ती जूनियर डॉक्टरों की इलाज का सारा खर्च उठाएगी और हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। 

डॉक्टरों की मुख्य रुप से छह मांगें थीं-

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डॉक्टरों को लेकर दिए गए बयान पर बिना शर्त माफी मांगें।
डॉक्टरों पर हुए हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए।
पुलिस की निष्क्रियता की जांच हो।
डॉक्टरों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर लगाए गए झूठे आरोपों को वापस लिए जाएं।
अस्पतालों में सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाए।

ममता बनर्जी ने यह सभी मांगे बिना शर्त स्वीकार कर ली हैं।

पिछले पांच दिनों की हड़ताल के दौरान राज्य के लगभग 300 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों को बातचीत का भी न्यौता दिया है। 

इस न्यौते पर डॉक्टरों का कहना है कि हम सशर्त वार्ता के लिए तैयार हो गए हैं। हम खुद  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बातचीत और चर्चा करना चाहते हैं। लेकिन इस बैठक की जगह हम तय करेंगे।  ममता बनर्जी ने नबन्ना में हमको बंद कमरे में बैठक करने के लिए बुलाया है, लेकिन हम बंद कमरे में उनके साथ बैठक कैसे कर सकते हैं, क्योंकि इस लड़ाई में पूरा राज्य हमारे साथ है। 

पूरे देश के डॉक्टर हैं हड़ताल पर

बंगाल सरकार को डॉक्टरों की हड़ताल के आगे इसलिए भी झुकना पड़ा क्योंकि उनका आंदोलन देशव्यापी रुख ले चुका था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 14 जून से तीन दिनों तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने के साथ 17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। आईएमए ने अस्पतालों में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली हिंसा की जांच के लिए कानून बनाने की मांग की। संगठन का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों को कम से कम 7 साल जेल की सजा का प्रावधान होना चाहिए।

इस मामले पर केन्द्र सरकार भी सक्रिय हो गई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बंगाल में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट की घटना को देखते हुए सभी राज्यों को पत्र लिखा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि डॉक्टरों पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

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