अंतरराज्यीय गिरोह आईएस-191 के सरगना और माफिया मुख्तार अंसारी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 33 वर्ष पुराने मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को उम्र कैद की सजा सुनाई है। बांदा जेल में बंद माफिया को इस बार 8वें मुकदमे में सजा सुनाई गई है। लोकसभा चुनाव से पहले माफिया के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है।
गाजीपुर। पूर्वांचल में आतंक का पर्याय बन चुके माफिया एवं पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 13 मार्च को एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 33 साल 3 महीने और 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाईसेंस के मामले में यह फैसला आया है। आईएएस-191 के सरगना मुख्तार को 8वीं बार सजा सुनाई गई है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले माफिया के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई मुख्तार अंसारी को सुनाई सजा
गाजीपुर विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत में 13 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मुख्तार अंसारी को पेश किया गया। इसी अदालत ने 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मुख्तार को अब तक 7 मामलों में सजा मिल चुकी है।
मुख्तार ने डीएम-एसपी के फर्जी हस्ताक्षर करके लिया था डबल बैरल बंदूक का लाईसेंस
अभियोजन पक्ष के अनुसार, माफिया मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को डबल बैरल बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां एप्लीकेशन दिया था। आरोप था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस लिया था। उसका फ्राड खुलने के बाद सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत 5 नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
इस मुकदमे में एक आरोपी की हो चुकी है मृत्यु
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1997 में आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया। अदालत में अभियोजन की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह और अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला ने पक्ष रखा।
मुख्तार अंसारी को इन-इन धाराओं में सुनाई गई सजा
माफिया मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानि ठगी के मकसद से जालसाजी का दोषी पाया। भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी को आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी पाया गया है। इसके तहत अधिकतम 6 माह की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर तीन दर्जन से ज्यादा मुकदमे हैं।
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