सोमवार को चंद्रमा की सतह पर लैंडिग की तैयारी में लगा स्पेसक्राफ्ट लूना-25 क्रैश हो गया है। रूस की स्पेस एंजेसी रोस्कोस्मोस ने इसकी जानकारी दी है। 1976 बाद रूस ने पहली बार चांद पर अपना मिशन भेजा था। सोवियत संघ के पतन के बाद रूस ने कोई भी लूनर मिशन नहीं भेजा था।
नेशनल डेस्क। चंद्रमा पर पहले पहुंचने के ख्वाब देख रहे रूस का मिशन लूना-25 सोमवार को चंद्रमा की सतह पर लैंडिग की तैयारी से पहले क्रैश हो गया है। रूस की स्पेस एंजेसी रोस्कोस्मोस ने इसकी जानकारी दी है। एजेंसी ने बयान में कहा का कि लूना-25 प्रपोल्शन मैनूवर के वक्त चांद से टकरा गया था। इस वजह हादसे का शिकार हो या। बता दें, रूस के लिए मून मिशन का क्रैश होना निराशाजनक है। 1976 बाद रूस ने पहली बार चांद पर अपना मिशन भेजा था। सोवियत संघ के पतन के बाद रूस ने कोई भी लूनर मिशन नहीं भेजा था।
सुबह आई थी तकनीकी खराबी
गौरतलब है, रविवार की सुबह रूस के लिए दुखद खबर लेकर आई। जब रूसी स्पेसक्राफ्ट luna-25 में तकनीकी खराबी के बारे में पता लगा। बताया जा रहा है, चांद की कक्षा बदलने के दौरान लूना-25 में आपाताकालीन स्थिति पैदा हो गई । जिसे रूस के वैज्ञानिक ठीक करने में लगे थे हालांकि वह इसमें सफल नहीं हो पाए।
चंद्रमा की कक्षा बदलने में फेल हुआ luna-25
लूना-25 सोमवार को चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला था। इसके लिए लैंडिंग से पहले कक्षा को बदला जाना था, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण ये सफल न हो सका। बता दें, 1976 में तत्ताकालीन सोवियत संघ के वक्त लूना-24 मिशन के लगभग पांच दशकों बाद रूस ने पहली बार 10 अगस्त को अपना लूनर मिशन लूना-25 लॉन्च किया था। इस मिशन पर करोड़ो रुपये खर्च किए गए थे। इसने चंद्रमा पर पहुंचने के लिए सीधा रास्ता अपनाया था।
अभी तक सफल रहा है, चंद्रयान-3
लूना-25 के क्रैश हो जाने से रूस के लोगों में निराशा है तो वहीं भारत का चंद्रयान-3 मिशन तेजी से चांद पर लैंडिंग के लिए तेजी से कदम बढ़ा रह है। हर भारतवासी उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, जब भारत चंद्रमा के साउथ पर लैंडिंग कर इतिहास रचेगा। इससे इतर चंद्रयान-3 की दूसरी डीबूस्टिंग यानी गति कम करने की प्रक्रिया सफल रही। इस प्रक्रिया के बाद यान को निचली कक्षा में लाया जाएगा। इसके बाद लैंडर विक्रम 23 अगस्त 2023 को शाम 6.04 बजे चंद्रमा पर लैंड करेगा।
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