ये 3 नये कानून भारत में लाएंगे बड़े बदलाव, CJI चंद्रचूड ने भी की तारीफ

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Apr 20, 2024, 10:14 PM IST

भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) को बदलने के लिए तीन नये कानून लाए गए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उन कानूनों की तारीफ करते हुए कहा कि भारत आपराधिक न्याय प्रणाली में अहम बदलाव को तैयार है।

नयी दिल्ली। भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) को बदलने के लिए तीन नये कानून लाए गए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उन कानूनों की तारीफ करते हुए कहा कि भारत आपराधिक न्याय प्रणाली में अहम बदलाव को तैयार है। समाज के लिए यह कानून बेहद जरूरी हैं। वह विधि एवं न्याय मंत्रालय की तरफ से नये कानूनों को लेकर आयोजित एक कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

बदल रहा देश का कानूनी ढांचा 

सीजेआई ने कहा कि यदि हम नागरिक के रूप में नये कानूनों को अपनाएंगे तो वह जरूर सफल होंगे। इन कानून ने आपराधिक न्याय पर देश के कानूनी ढांचे को बदल दिया है। इन कानूनों में जरूरी सुधार पेश किए गए हैं। संसद से इन कानूनों को पास होना संकेत देता है कि देश बदल रहा है और वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए कानून से रिलेटेड जरूरतों को अपना रहा है।

जुलाई 2024 से लागू होंगे नये कानून

नये कानून जुलाई 2024 से लागू होंगे। जिनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं। इन कानूनों के लागू होने के बाद देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव आएंगे। पिछले साल 21 दिसम्बर को संसद से पास हुए इन कानूनों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को मंजूरी दी थी। हिट-एंड-रन मामलों से जुड़े प्रावधन अभी लागू  नहीं होंगे।

1860 और 1873 से चले आ रहे थे पुराने कानून

सीजेआई ने कहा कि पुराने कानून 1860 से 1873 से चले आ रहे थे। उनमें क्रमश: आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट शामिल हैं। मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नये तरीके हमे नये कानून से मिल रहे हैं। नये कानून के मुताबिक, पुलिस छापेमारी करेगी तो मौके की आडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। यह नागरिकों की सुरक्षा भी तय करेगा।

कोर्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर भी जरूरी

जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में ट्रायल और फैसले के लिए टाइमलाइन तय होना अच्छा बदलाव है। उसके अनुरूप कोर्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर भी जरूरी हैं। वरना नये कानून के तहत लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल होगा। सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जजों, पुलिस, वकीलों व अन्य स्टेक होल्डर्स को नये कानून की ट्रेनिंग के लिए कहा है।

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