नयी दिल्ली। भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल को पहली बार एक्सपोर्ट किया है। जिससे चीन टेंशन में आ गया है। मिसाइल खरीदने वाला देश फिलीपींस है, जिसने चीन के साथ युद्ध की आशंकाओं को देखते हुए यह कदम उठाया है। दोनों देशों के बीच दक्षिण चीन सागर में कई द्वीपों को लेकर विवाद है। इसको लेकर दोनों देशों के तटरक्षक बल कई बार आमने—सामने भी आ चुके हैं। बहरहाल, भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर और रूसी आईएल-76 परिवहन विमानों से ब्रह्मोस मिसाइल पहली बार किसी विदेशी धरती पर पहुंची है। 

ब्रह्मोस ने बढ़ाई फिलीपींस की सामरिक ताकत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आने वाले कुछ दिनों में ब्रह्मोस मिसाइल की पहली यूनिट को फिलीपीन मरीन कॉर्प्स एक्टिव करेगा। भारत की ताकतवर मिसाइल से फिलीपींस की सामरिक ताकत कई गुना बढ़ी है। खास यह है कि चीन के पास इस मिसाइल की कोई काट नहीं है। मिसाइल की तैनाती के बाद चीनी युद्धपोत की इसकी रेंज में आने से बचने की कोशिश करेंगे।

ब्रह्मोस मिसाइल की ये है मारक क्षमता

भारत की तरफ से फिलीपींस को एक्सपोर्ट की गई ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर तक है। ऐसा नहीं कि भारत के पास इससे ज्यादा रेंज की ब्रह्मोस मिसाइले नहीं हैं। पर इंटरनेशनल लॉ के मुताबिक, भारत किसी भी देश को 300 किलोमीटर से ज्यादा रेंज की मिसाइलें नहीं बेच सकता है। मौजूदा मिसाइल फिलीपींस के तट से लगभग 300 किमी तक टारगेट को ध्वस्त करने में सक्षम है। वैसे फिलीपींस से चीन के मुख्य भूमि की दूरी हजार किलोमीटर से ज्यादा आंकी जाती है। ऐसे में यह मिसाइल सिर्फ चीनी युद्धपोतों को निशाना बना सकती है। 

फिलीपींस सागर में निभाएगा अहम भूमिका

डिफेंस एक्सपर्ट कहते हैं कि ब्रह्मोस मिसाइल सिर्फ खतरों का जवाब ही नहीं देगा, बल्कि फिलीपींस की सामरिक ताकत भी बढ़ाएगा। पश्चिम फिलीपींस सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाएगा। ब्रह्मोस मिसाइल की खेप हासिल करने के बाद फिलीपींस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के उस छोटे क्लब में शामिल हो गया है, जो सुपरसोनिक एंटी-शिप क्रूज मिसाइल क्षमता रखते हैं। इंडोनेशिया के पास साल 2011 से रूस का याखोंट सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल है। वियतनाम की सेना के पास बैस्टियन-पी मोबाइल तटीय रक्षा मिसाइल सिस्टम है।

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