ISRO ने रचा इतिहास: 100वें सफल लॉन्च से भारत हुआ मजबूत? किस टेक्नोलॉजी से आत्मनिर्भर बना देश?

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Jan 29, 2025, 11:27 PM ISTUpdated : Jan 29, 2025, 11:29 PM IST
ISRO ने रचा इतिहास: 100वें सफल लॉन्च से भारत हुआ मजबूत? किस टेक्नोलॉजी से आत्मनिर्भर बना देश?

सार

ISRO ने GSLV-F15 रॉकेट के जरिए NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत के NavIC प्रणाली का हिस्सा है। आइए जानते हैं कि NavIC क्या है और यह क्यों जरूरी है?

नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर स्पेस सेक्टर में अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 100वें सफल लॉन्च के साथ इतिहास रच दिया है। यह मिशन NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को लेकर था, जिसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सक्सेसफुली लॉन्च किया गया। इस उपलब्धि के साथ अब माना जा रहा है कि भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम होगी।

ISRO का 100वां मिशन क्यों है खास?

यह 2250 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट है, जिसे GSLV-F15 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। NVS-02 सैटेलाइट नाविक (NavIC) प्रणाली का हिस्सा है, जो भारत का स्वदेशी सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है। इस सैटेलाइट में L1, L5 और S बैंड में नेविगेशन पेलोड और C-बैंड में रेंजिंग पेलोड मौजूद है। रूबिडियम एटॉमिक फ्रीक्वेंसी स्टैंडर्ड (RAFS) से लैस यह सैटेलाइट सटीक समय की जानकारी देने में सक्षम है।

NavIC सिस्टम: भारत का अपना GPS

NavIC (Navigation with Indian Constellation) भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) का एडवांस वर्जन है। यह भारत और आसपास के 1500 किलोमीटर के क्षेत्र में सटीक लोकेशन और टाइमिंग सेवाएं देता है।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली टेक्नोलॉजी

ISRO ने इस सैटेलाइट को UR सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिजाइन और डेवलप किया। इसमें भारत में ही बनी रूबिडियम एटॉमिक क्लॉक का यूज किया गया है, जो अब तक विदेशों से इम्पोर्ट की जाती थी। भारत अब अमेरिका के GPS या रूस के GLONASS पर निर्भर नहीं रहेगा। चीन के BeiDou, यूरोप के Galileo, और जापान के QZSS की तरह भारत का NavIC भी एक इंडिपेंडेंट सिस्टम बन रहा है। यह सीमा सुरक्षा, मिसाइल ट्रैकिंग, नौसैनिक ऑपरेशन, वायुसेना और थलसेना की रणनीति में मदद करेगा। ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्चर, डिजिटाइजेशन, डिजास्टर मैनेजमेंट, मैपिंग और मोबाइल नेविगेशन सेवाओं में भी उपयोगी है।

NavIC क्यों जरूरी था? भारत ने खुद का नेविगेशन सिस्टम क्यों बनाया?

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने अमेरिका से GPS डेटा मांगा, लेकिन अमेरिका ने यह देने से इनकार कर दिया। इस घटना ने भारत को अपने स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम की जरूरत का एहसास कराया। विदेशी नेविगेशन सिस्टम किसी भी आपातकालीन स्थिति में भारत की जरूरतों को नजरअंदाज कर सकते हैं। ऐसे समय में NavIC देश के काम आएगा। भारत अब अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय संघ की तरह अपना नेविगेशन सिस्टम संचालित करने वाला देश बन गया है।

ये भी पढें-जानिए दुनिया की 5 पॉवरफुल वायु सेनाएं कौन? भारत किस नंबर पर?

PREV

Recommended Stories

भारत की सुरक्षा में फ्रांस का हाथ! दुश्मन देशों के उड़ जाएंगे होश
Good News: भारत में जन्मी चीता मुखी ने कूनो पार्क में दिया 5 शावकों को जन्म!