अग्नि प्राइम बनेगी दुश्मनों का काल, जानिए क्यों है खास?

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Apr 8, 2024, 2:18 PM IST
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यह मिसाइल पाकिस्तान और चीन के लिए काल यूं ही नहीं कहीं जा रही है। इसकी प्रमुख वजह मिसाइल की परमाणु हथियारों को ले जाने की कैपेसिटी है। यह मिसाइल 3000 किलोग्राम तक विस्फोटक न्यूक्यिलर वीपन ले जा सकती है।

नयी दिल्ली। भारत ने अपनी रक्षा जरूरतों के हिसाब से स्वदेशी उपकरण और हथियार बनाकर दुनिया को चौंका दिया है। बीते 3 अप्रैल को अग्नि-प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया। जिसे परमाणु हथियारों से भी ले जा सकता है। 2000 किलोमीटर मारक क्षमता वाली मिसाइल पाकिस्तान के खतरों का मुकाबला करेगी।

दुनिया भर में बढ़ा भारतीय वैज्ञानिकों का मान

ओडिशा तट के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से अग्नि-प्राइम का सफल परीक्षण किया गया। यह मिसाइल अग्नि-II की जगह लेगी। इस बैलेस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय वैज्ञानिकों का दुनिया भर में मान बढ़ा है। पुरानी टेक्नोलॉजी को एडवांस टेक्नोलॉजी में बदला जा रहा है। भारत लगातार अपने अत्याधुनिक साजो सामान बढ़ा रहा है।

'मिशन दिव्यास्त्र' लॉन्च कर दुनिया को कर दिया था सरप्राइज

बीते मार्च महीने में भारत ने 'मिशन दिव्यास्त्र' लॉन्च कर दुनिया को सरप्राइज कर दिया था। स्वदेशी अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर तक है। इसमें मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) टेक्नोलॉजी का यूज हुआ है। यह करके भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जो मिसाइल बनाने में इस टेक्नोलॉजी का यूज करते हैं। इस तकनीक की खासियत यह होती है कि यह एक साथ कई टारगेट को निशाना बना सकती है। 

3000 किलोग्राम परमाणु हथियार 

यह मिसाइल पाकिस्तान और चीन के लिए काल यूं ही नहीं कहीं जा रही है। इसकी प्रमुख वजह मिसाइल की परमाणु हथियारों को ले जाने की कैपेसिटी है। यह मिसाइल 3000 किलोग्राम तक विस्फोटक न्यूक्यिलर वीपन ले जा सकती है। सॉलिड फ्यूल से उड़ने वाली इस मिसाइल का वजन 11 हजार किलोग्राम है। इसको बनाने में यूज किया गया मटेरियल इसे और खास बनाता है। अग्नि प्राइम मिसाइल के निर्माण में हल्का मटेरियल यूज किया गया है।

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