Paris Paralympics 2024: चार मेडल जीतकर चमके भारत के सितारे, कौन हैं शूटिंग-दौड़ में कमाल करने वाले ये प्लेयर्स

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Aug 30, 2024, 11:09 PM IST

Paris Paralympics 2024 में भारत के खिलाड़ियों ने 4 मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। जानिए अवनि लेखरा, मनीष नरवाल, मोना अग्रवाल और प्रीति पाल की प्रेरक कहानियां 

Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक के दूसरे दिन भारत के प्लेयर्स ने धमाकेदार प्रदर्शन कर तीन मेडल हासिल किए। महिला शूटर अवनि लेखरा ने गोल्ड जीता। दूसरी निशानेबाज मोना अग्रवाल कांस्य पदक विजेता बनीं। इन दोनों प्लेयर्स ने 10 मीटर एयर राइफल SH1 स्पर्धा में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उधर, प्रीति पाल को महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में कांस्य पदक मिला और फिर शूटिंग में मनीष नरवाल ने चौथा मेडल दिलाया। उन्हें मेन्स 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में सिल्वर मेडल मिला।

कौन हैं अवनि लेखरा? एक्सीडेंट के बाद बनाई पहचान

राजस्थान के जयपुर की रहने वाली अवनि लेखरा की कहानी सबसे अलग है। उन्होंने एलएलबी की डिग्री ली है। साल 2012 में एक कार एक्सीडेंट में वह जख्मी हुई थी। स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ी। पैराप्लेजिया से पीड़ित हो गई थी। पिता ने उन्हें खेलों के लिए प्रोत्साहित किया और आर्चरी की ट्रेनिंग दिलवाई। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया। आज वह पूरी दुनिया में मशहूर हो गई हैं। वह भारत की पहली महिला एथलीट हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में दो पदक जीते हैं। टोक्यो में गोल्ड और ब्रॉन्ज जीता था।

कौन हैं मनीष नरवाल? दाएं हाथ में प्रॉब्लम

हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले मनीष नरवाल ने शूटिंग में सिल्वर मेडल जीता है। पिछले टोक्यो पैरालंपिक में भी वह गोल्ड जीत चुके हैं। उनकी उम्र 22 साल है। शुरूआत दिनों में वह फुटबाल प्लेयर बनना चाहते थे। उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा दिव्यांगता थी। कम उम्र में उनके दाएं हाथ ने काम करना बंद कर दिया था। पिता ने उन्हें आर्चरी गेम के प्रति प्रोत्साहित किया। ट्रेनिंग दिलवाई। फिर उन्होंने शूटिंग में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कई नेशनल और इंटरनेशनल प्रतिस्पर्धाओं में देश का नाम रोशन कर चुके हैं।

 कौन हैं पैरा शूटर मोना अग्रवाल? बचपन से पोलियो

राजस्थान के सीकर में जन्मी मोना पोलियो के कारण बचपन से ही चलने में असमर्थ हो गई थीं। समाज के ताने भी सहें। पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी। व्हीलचेयर का सहारा था। पहले पैरा एथलेटिक्स में हाथ आजमाया। राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में पहचान बनाई। पर शरीर एथलेटिक्स की कठोरता झेलने में सक्षम नहीं था। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए शूटिंग चुनी और अपना सपना सच किया। 2023 डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में कांस्य पदक जीता था। 

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