मार्तण्ड भैरव तोंडईमन: वह राजा जिसने 8000 मील दूर बैठी प्रेमिका के लिए त्याग दिया सिंहासन

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Sep 16, 2024, 12:30 PM IST

राजा मार्तण्ड भैरव तोंडईमन की सच्चे प्यार की अनोखी कहानी, जिनकी ऑस्ट्रेलियाई सोशलाइट मौली पिंक से प्रेम कहानी और विवाह ने ब्रिटिश भारत सरकार को चुनौती दी। जानिए उनकी जीवन यात्रा।

Historical Stories: इंग्लिश राईटर विलियम शेक्सपियर ने गलत नहीं कहा था, "सच्चे प्यार की राह कभी आसान नहीं होती।" यहां तक कि एक राजा (शासक) भी सच्चे प्यार के साथ आने वाली बाधाओं से अछूता नहीं था। यह पुदुक्कोट्टई (वर्तमान तमिलनाडु) की पूर्ववर्ती रियासत के राजा मार्तण्ड भैरव तोंडईमन (1875-1928) की कहानी है। 

महज 11 साल की उम्र में राजा बने थे तोंडईमन
राजा तोंडईमन को 11 साल की उम्र में राजा बनाया गया था। चूंकि वह नाबालिग थे, इसलिए रीजेंसी का नेतृत्व दीवान ए. शेषय्या शास्त्री ने किया। अंततः 1894 में मद्रास के गवर्नर लॉर्ड वेनलॉक ने उन्हें पूर्ण अधिकार सौंपे। मार्च 1915 में राजा टोंडाइमन ऑस्ट्रेलिया गए, जहां वो होटल मैजेस्टिक मेंशन में ठहरे। यहीं उनकी मुलाकात ऑस्ट्रेलियाई सोशलाइट एस्मे मैरी सोरेट फिंक से हुई, जिन्हें मौली पिंक के नाम से जाना जाता था।

सिडनी यात्रा के दौरान राजा तोंडईमन को हुआ था मौली पिंक से प्यार
राजा तोंडइमन को पहली नजर में ही मौली पिंक से प्यार हो गया था। सुनहरे बालों वाली समाज सुंदरी, नीली आंखों वाली और अनार जैसे होंठ वाली मौली पिंक में गजब का आकर्षण और चरित्र था। अप्रैल 1915 में सिडनी की यात्रा पर उनकी मुलाक़ात दक्षिण भारत के पुदुकोटा रियासत के राजा मार्तंड भैरव टोंडिमन से हुई, जो ऑस्ट्रेलिया होटल से लेकर ब्लू माउंटेंस में मेडलो बाथ के हाइड्रो मैजेस्टिक तक उनके साथ रहे, जहां उनका प्रेम संबंध परवान चढ़ा।

मेलबर्न में किया था राजा ने मौली पिंक से विवाह
एडवर्ड ड्यूकर और कोरली यंगर ने 1996 में ऑस्ट्रेलियन डिक्शनरी ऑफ़ बायोग्राफी, वॉल्यूम 14 में प्रकाशित एक लेख में लिखा है कि राजा ने मेलबर्न में मौली पिंक से विवाह किया, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई प्रेस ने उनके विवाह के प्रति क्रूरता दिखाई। ब्रिटिश द्वारा संचालित भारत सरकार ने इस विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया।

अंग्रेजी हुकूमत ने नहीं दी मौली पिंक को महारानी की उपाधि
रानी को महारानी की उपाधि देने की अनुमति नहीं थी। दोनों भारत में कुछ महीने ही रहे और 1916 में ऑस्ट्रेलिया लौट गए। जुलाई 1916 में उन्होंने एक बेटे, मार्थांडा सिडनी को जन्म दिया। स्व-निर्वासन में राजा मेलबर्न और सिडनी में रेसिंग हलकों में प्रमुख हो गए। उनकी बग्धियां घोड़े, किंग मोस्टिन ने पुरस्कार एमाउंट में £1000 से अधिक की कमाई की और ओल्ड मुंगिंदी ने ग्रैंड नेशनल स्टीपलचेज़ (जुलाई 1917) जीता।

राजा के बेटे को भी नहीं माना गया उत्तराधिकारी
सिडनी में मौली के सबसे करीबी दोस्त प्रधानमंत्री की पत्नी एडा होलमैन और एथेल केली ने ड्यूकर और यंगर ने लिखा कि यह स्पष्ट था कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा संचालित भारत की सरकार उनके बच्चे को रियासत के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता नहीं देगी। राजा ने रीजेंसी स्वीकार करने के बाद फ्रांस जाने का फैसला किया। बदले में उन्हें पर्याप्त वित्तीय मुआवजा और वार्षिक भत्ते दिए गए। उनकी मृत्यु लंदन में हुई और हिंदू रीति-रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी पत्नी और बेटे को भारत आने की अनुमति नहीं मिली।


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