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Union Budget 2024: ओल्ड टैक्स रिजीम की धारा 80C की सीमा बढ़ाने की मांग, जानें क्यों है महत्वपूर्ण

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Jul 13, 2024, 05:01 PM ISTUpdated : Jul 13, 2024, 05:03 PM IST
Union Budget 2024: ओल्ड टैक्स रिजीम की धारा 80C की सीमा बढ़ाने की मांग, जानें क्यों है महत्वपूर्ण

सार

Union Budget 2024: ITR फाइलिंग के दौरान सही टैक्स रिजीम चुनना महत्वपूर्ण है। ओल्ड टैक्स रिजीम कई कटौती प्रदान करती है। धारा 80C की सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है। जानें क्यों इसे 3 लाख रुपये तक बढ़ाना चाहिए।

Union Budget 2024: ITR फाईलिंग के दौरान जब टैक्स कैलकुलेशन के लिए उपयुक्त टैक्स रिजीम चुनने की बात आती है, तो ओल्ड टैक्स रिजीम को अभी भी कई लोग पसंद करते हैं। ओल्ड टैक्स रिजीम विभिन्न कटौती प्रदान करती है जो टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स बचाने में मदद कर सकती है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत डिडक्शन एक टैक्स- सेविंग प्रावधान है, जो विशेष रूप से व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए उपलब्ध है।

धारा 80C में क्या-क्या मिलता है कवर?
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80C के तहत टैक्स पेयर्स विभिन्न सेविंग और इन्वेस्टर पर डिडेक्शन का बेनीफिट उठा सकते हैं, जिसमें LIC, PPF, RPF/सुपरएनुएशन फंड में कर्मचारियों का योगदान और बहुत कुछ शामिल है। धारा 80C के तहत मैक्सिमम डिडेक्शन लिमिट 1,50,000 रुपये प्रति वर्ष है। यह डिडेक्शन 5 वर्षीय FD जमा, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), आवास ऋण पर मूलधन की अदायगी, लाइफ इंश्योरेंस, सुकन्या समृद्धि योजना, EPFO और अन्य जैसे कई योग्य इन्वेस्टमेंट को कवर करती है। धारा 80सी की लोकप्रियता में उल्लेखनीय ग्रोथ देखी गई है क्योंकि व्यक्ति टैक्स बेनीफिट के लिए योग्य इन्वेस्टमेंट साधनों का यूज करने में अधिक जानकारीपूर्ण और एक्टिव हो गए हैं।

आखिर क्यों बढ़ाई जानी चाहिए लिमिट?
बढ़ती जीवन-यापन लागत और खुदरा मुद्रास्फीति को देखते हुए टैक्स पेयर्स के बीच इस लिमिट में ग्रोथ के लिए लॉग टाइम से प्रत्याशा (anticipation) रही है। वर्तमान मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बिठाने के लिए कई लोग तर्क देते हैं कि धारा 80C के लिए व्यावहारिक सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल के दौरान 2014 में लिमिट बढ़ाई गई थी। यह समायोजन सरकार द्वारा अपने शुरुआती बजट में लागू की गई राहत का एक महत्वपूर्ण रूप था। हालांकि इस बदलाव के बाद 80C लिमिट में कोई और संशोधन नहीं किया गया।

धारा 80C की लिमिट बढ़ाने से क्या होगा फायदा?
इकोनॉमिक लॉज़ प्रैक्टिस के पार्टनर मितेश जैन ने वृद्धि की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2014 में चुनाव के बाद भाजपा सरकार के पहले बजट के बाद से धारा 80C के तहत मैक्सिमम डिडेक्शन 1.5 लाख रुपये पर सीमित कर दी गई है। 80C की लिमिट बढ़ाने से अधिक बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, अतिरिक्त टैक्स बेनीफिट मिलेगा और पिछले दशक में मुद्रास्फीति के रुझानों के साथ बेहतर तालमेल होगा।

क्यों स्पीड नहीं पकड़ पा रही धारा 80 C की ग्रोथ?
धारा 80C कटौती सीमा में संशोधन सीधे तौर पर किसी व्यक्ति की टैक्स योग्य इनकम और उसके परिणामस्वरूप टैक्स लायबिलिटी को प्रभावित करता है। जीवन यापन की कास्ट बढ़ने और सेलरी में ग्रोथ के साथ, वर्तमान धारा 80C लाभ ने स्पीड नहीं पकड़ी है, जिससे कई टैक्स पेयर्स लिमिट को तेजी से समाप्त कर रहे हैं। धारा 80C लिमिट बढ़ाना टैक्स पेयर्स के बीच एक प्रमुख अपेक्षा है, जो केंद्रीय बजट 2024 तक ले जाती है।

मोदी 3.0 गर्वनमेंट से ये हैं उम्मीदें
मोदी 3.0 गर्वनमेंट के आगामी बजट में इन अपेक्षाओं को स्वीकार करके और संबोधित करके सरकार टैक्स पेयर्स को पर्याप्त राहत दे सकती है और धारा 80C के तहत टैक्स-सेविंग साधनों में अधिक जुड़ाव को प्रोत्साहित कर सकती है। यह बदले में समग्र टैक्स अनुपालन और आर्थिक एक्टिविटीज को बढ़ावा दे सकता है।


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