‘उन्हें इतिहास पर गलतबयानी ना करने दें जो अटलजी को कोसा करते थे’

By Kapil Mishra  |  First Published Aug 17, 2018, 11:02 AM IST

“अटल बिहारी वाजपेयी एक इतिहास पुरुष, जिनके नाम जिनकी महान शख्सियत की दुहाई आज वो लोग दे रहे हैं, जिन्होंने कभी अटलजी के साथ ‘अछूत’ जैसा बर्ताव किया। ये लोग अब अटलजी की विचारधारा को ही तोड़-मरोड़ कर पेश करने की फिराक में हैं। उनको ऐसा ना करने दे।“ –कपिल मिश्रा

एक आदर्श पुरुष इस दुनिया से चला गया लेकिन उसकी असंख्य यादें हमारे ज़हन में ताजा हैं। उसे देश की जनता ने प्यार दिया, सम्मान दिया। साझा करने के लिए हजारों लोगों के पास उनसे जुड़ी तमाम यादें हैं।


इन सब के बीच सावधान रहने की जरूरत है, उस विचारधारा से, उन लोगों से जिन के खिलाफ वाजपेयी जी उम्र भर लड़े। उन्होंने तो अटलजी को आइडियोलॉजी और तर्कों के अपने सांचे में ढालने की कवायद भी शुरू कर दी है।


वो अटलजी के जीवन और उनके संघर्ष के अंशों तोड़-मरोड़कर पेश करते हुए नई कहानी गढ़ेंगे। इतिहास को गुमराह करने की कोशिश करेंगे, अटलजी की विचारधारा को अलग अंदाज में पेश करने की कोशिश करेंगे।


वो लोग अटलजी की ऐसी तस्वीर गढ़ने की कोशिश करेंगे कि, जिससे लगे कि वो बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही खिलाफ थे। वो बार-बार ये दिखाने की कोशिश करेंगे कि अटलजी इस विचारधारा के साथ बहुत मेलजोल नहीं रखते थे।


वैसे सच्चाई तो छुप नहीं सकती, याद कीजिए कि अटलजी कैसे ना सिर्फ आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा के प्रथम ध्वाजारोहक थे बल्कि वो तो दल के संस्थापक थे, अग्रज नेता थे।


कुछ प्रमुख बातें जो अटलजी के साथ इतिहास में दर्ज रहेंगी :


1. शुद्ध रूप से पहले गैर क्रांग्रेसी प्रधानमंत्री थे अटल जी


2. वो ऐसे पहले नेता थे हिंदुत्व और अपने धार्मिक पहचान पर खुलकर बोला, कहा कि भारत वो एक समावेशी हिंदू राष्ट्र है।


3. वो इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट थे कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण होना चाहिए।


4. उन्होंने अपने भाषणों, लेखों और कविताओं में सभ्यताओं के बीच हुए संघर्षों पर खुल कर अपने विचार रखे।


5. उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम को हमें राष्ट्रपति के रूप में दिया।


6. उन्होंने बेहिचक होकर परमाणु परीक्षण का कदम उठाया। आज के विपक्ष की तरह तब के विपक्षी भी परमाणु परीक्षण के खिलाफ अपना मत रख रहे थे जैसा कि आज-कल बुलेट ट्रेन और अंतरिक्ष अभियान पर तंज कसते हैं।


7. उन्हें देश की जनता का प्यार मिला।


8. उनको सबने प्यार दिया, सम्मान दिया लेकिन आज जो लोग विपक्ष में बैठे हैं, उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।


8 आज के दौर में विपक्ष नरेंद्र मोदी को जितना अपना शत्रु मानता है, विपक्ष की तरफ से इससे कही ज्यादा शत्रुता अटलजी को झेलनी पड़ी।


9 विपक्षी दल अटलजी की अगुवाई वाली बीजेपी को ‘अछूत’ की तरह दर्शाते थे, जो बीजेपी के साथ जाए उसपर ‘कम्यूनल’ का लेबल चस्पा कर देते थे।


10. राज्यों में चल रही बीजेपी सरकारों को बिना किसी वजह के तब की केंद्र सरकार बर्खास्त कर देती थी।


11. ये देश की जनता का अटलजी को मिला प्यार ही था कि तमाम विपक्षी दलों को अपना मत बदलना पड़ा और सबने उन्हें देश के प्रधानमंत्री के तौर पर स्वीकार किया।


12. अटलजी ने गठबंधन की राजनीति के मायने ही बदल दिए जब सबसे बड़े दल के प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने सरकार चलाई।


13 उन्होंने ही ये नारा बुलंद किया था “गर्व से कहो हम हिंदू है”।


14 वो देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिसने हिंदुत्व की अपनी पहचान पर गर्व करने में कभी संकोच नहीं किया।

उन ताकतों को अटलजी के इतिहास पर लिखने-बोलने न दें जिनके खिलाफ वो जीवन भर लड़े।
 

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