यहां छिपा है हिंदुत्व का एजेन्डा बीजेपी के संकल्प पत्र और पीएम मोदी के भाषण में

By Anshuman AnandFirst Published Apr 9, 2019, 6:48 AM IST
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पीएम मोदी ने नई दिल्ली में बीजेपी का घोषणा पत्र(संकल्प पत्र) जारी कर दिया। उपरी तौर पर देखने पर यह पूरी तरह विकास के एजेन्डे पर बढ़ता हुआ दिखता है और ऐसा लगता है कि बीजेपी ने हिंदुत्व के मुद्दे को हाशिए पर डाल दिया है। लेकिन यह सच नहीं है। 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने  अपनी पार्टी का संकल्प पत्र जारी किया। जिसमें लगता है जैसे हिंदुत्व का मुद्दा छूट गया है। लेकिन ऐसा है नहीं। दरअसल बीजेपी के संकल्प पत्र नें हिंदुत्व है तो लेकिन विकास की चाशनी में लिपटा हुआ। 

जरा गौर से इस चित्र को देखें। यह बीजेपी के संकल्प पत्र का 42(बयालीसवां) पन्ना है। इसमें हिंदुत्व की राजनीति के सभी मूल एजेन्डों का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि राम मंदिर पर बीजेपी अपने पुराने रुख पर कायम है। इसमें आस्था और संस्कृति के जरिए धर्म के संरक्षण की बात कही गई है। 

इसके अगले 43(तैंतालीसवें) पन्ने पर हिंदुत्व का आधार मां गंगा के संरक्षण का भी जिक्र है और भगवान अयप्पा के प्रसिद्ध मंदिर की परंपरा को अक्षुण्ण रखने की भी बात कही गई है। 
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदुत्व के एजेन्डे पर एक सबसे अहम बयान दिया वह कुछ इस प्रकार है। 

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प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि देश ने सैकड़ों साल की गुलामी बर्दाश्त की। लेकिन इस दौरान कभी भी संघर्ष बंद नहीं हुआ। उन्होंने सैकड़ों साल की गुलामी शब्द का उल्लेख दो बार किया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल की गुलामी के दौरान देश के किसी न किसी कोने में आजादी का संघर्ष चलता रहा। 

उपरी तौर पर सुने जाने पर लगता है कि यह अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ चलने वाले संघर्ष की बात लगती है। 

लेकिन ऐसा है नहीं। प्रधानमंत्री ने दो बार सैकड़ों साल की गुलामी का जिक्र किया। हम सब इस तथ्य से वाकिफ हैं कि अंग्रेजों का शासन भारत पर लगभग दो सौ साल तक रहा। जिसे सैकड़ो साल नहीं कहा जा सकता है। 

अगर प्रधानमंत्री भारत की सैकड़ों साल की गुलामी का जिक्र कर रहे हैं तो वह निश्चित तौर पर दो सौ साल की अंग्रेजों की गुलामी के साथ एक हजार(1,000) से सात सौ(700) साल के मुस्लिम शासन का भी जिक्र कर रहे हैं। 

जिसकी शुरुआत सन् 712 ईस्वी में सिंध पर कासिम के हमले से मानी जाती है। जिसके तीन सौ सालों के अंदर पृथ्वीराज चौहान की हार के साथ दिल्ली पर मुस्लिम शासकों का कब्जा हो गया। 

लेकिन कभी भी पूरा भारत मुस्लिम शासन के अंदर नहीं रहा। इस बात का सबूत है भारत की बहुसंख्यक हिंदू आबादी। जिसने कभी भी क्रूर इस्लामी शासकों की गुलामी को स्वीकार नहीं किया और जब भी जहां मौका मिला उसका जबरदस्त प्रतिकार किया। 

हिंदू हृदय सम्राट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के इस संघर्ष से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इसलिए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ‘देश में सैकड़ों साल की गुलामी के दरम्यान कोई वर्ष ऐसा नहीं रहा है। जब हिंदुस्तान का कोई न कोई कोना अपनी आजादी के लिए लड़ता नहीं रहा है। सैकड़ों सालों तक हर वर्ष बलिदानियों की परंपरा रही है।’  

बीजेपी के संकल्प पत्र का 42 और 43वां पन्ना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह भाषण इस बात का सबूत है कि यह पार्टी हिंदुत्व के अपने मूल आधार को भूली नहीं है। भले ही राजनीतिक मजबूरियों से उसे हिंदुत्व को विकास की चाशनी में लपेटकर पेश करना पड़ता हो। लेकिन पीएम मोदी हिंदुत्व को छोड़ नहीं सकते। शायद इसीलिए उन्हें हिंदू हृदय सम्राट की उपाधि मिली हुई है।
 

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